उज्जैन। क्या आप जानते हैं कि विश्व का पहला गुरुकुल (world’s first Gurukul) कहां है। यदि नहीं तो आपको बता दें कि विश्व का पहला गुरुकुल (Vishwa Ka Pahle Gurukul) बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain Mahakal) में माना जाता है। जिसका नाम सांदीपनि आश्रम (Sandipani Ashram) है। इसे भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली भी है. इतना ही नहीं यहां भगवान नारायण ने भी गुरु से शिक्षा ग्रहण की थी।
ऐसा मानते हैं कि मंगलनाथ मार्ग स्थित इस सांदीपनि आश्रम (Sandipani Ashram) में भगवान नारायण ने गुरु से शिक्षा ग्रहण की थी।सोमवार को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2023) पर गोमती कुंड के पवित्र जल से श्रीकृष्ण, बलराम व ऋषि सांदीपनि (Rishi Sandipani) का अभिषेक किया गया। सुबह 6 बजे से ही गुरू पूर्णिमा महोत्सव आरंभ हो गया। यहां देशभर से पहुंचे भक्तों ने छोटे बच्चों का विद्यारंभ संस्कार करवाया। श्री कृष्ण ने यहां 64 विधा और 16 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था| आश्रम में वह शिला मौजूद है, जहां कृष्ण बैठा करते थे और एक कुण्ड भी है जिसमें वे स्नान करते थे|
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव पहुंचे
आश्रम के पुजारी पं. रूपम व्यास ने बताया कि इस अवसर पर भगवान का श्रृंगार आदि कर गुरू पूजन किया गया। विश्व शांति के लिए हवन हुआ। साथ ही मंदिर को मोगरे के फूलों से सजाया गया। इस दौरान उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव, विधायक पारस जैन, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने विशेष रूप से पहुंच कर, भगवान की पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा ने इसी स्थान पर आकर गुरू सांदीपनि से विद्या प्राप्त की थी। इसलिए गुरू पूर्णिमा का यहां विशेष महत्व है।
द्वापर युग से चली आ रही आज भी जारी है
आज के दिन आश्रम में अनूठी परम्परा का निर्वाह किया जाता है। जिसमें छोटे-छोटे बच्चो को स्लेट पर गुरु मन्त्र लिखवाया जाता है| ऐसी मान्यता है कि बच्चों द्वारा स्लेट पर मन्त्र लिखने की यह परम्परा द्वापर युग से चली आ रही है| ऐसा करने से बच्चों की बुद्धि यानि दिमाग तेज होता है|
श्री कृष्ण ने लिखे थे सबसे पहले 3 गुरु मंत्र
मंदिर के पुजारी के अनुसार भगवान नारायण यानि कृष्ण (Lord Krishna) जी ने मित्र सुदामा व बड़े भाई बलराम के साथ सबसे पहले स्लेट पर कलम से 3 गुरु मंत्र (Guru Mantra) लिखे थे. उसके बाद से गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की थी। यह परम्परा आज भी चलती आ रही है। आज भी जब छोटे बच्चे स्कूल में प्रवेश के लिए जाते है तो पहले महर्षि संदीपनी आश्रम (Dwapar Yug Sandipani Ashram) में आकर 3 गुरु मंत्र लिखकर शिक्षा प्राम्भ करते हैं।
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