नई दिल्ली। आश्विन मास की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू होते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर सोमवार से शुरू हो रहे हैं। इस वर्ष देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो सुख-समृद्धि, राष्ट्र उन्नति और कल्याण का प्रतीक है। इसके अलावा इस तिथि पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और हस्त नक्षत्र योग का संयोग बन रहा है। ऐसे में आइए इस दिन के महत्व और पूजा विधि को जानते हैं।
अखंड ज्योति जलाने के नियम
अखंड ज्योति को जलाने से पहले मन में नौ दिनों तक इसे प्रज्ज्वलित रखने का संकल्प लें। ज्योति के लिए पीतल या मिट्टी का दीया इस्तेमाल करें और इसे सीधे जमीन पर न रखकर एक चौकी या पाटे पर स्थापित करें। ज्योति जलाने के लिए गाय के शुद्ध घी का उपयोग करना सर्वोत्तम माना जाता है। यदि यह संभव न हो तो आप तिल या सरसों के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं।
देवी को अर्पित करें ये चीजें
श्रृंगार सामग्री
शीशा, लाल चुनरी, नथ, गजरा, बिंदी, काजल,
मेहंदी, महावर, शीशा, बिछिया, इत्र,
चोटी, पायल, मांग टीका, चूड़ियां, सिंदूर
लिपस्टिक, रबर बैंड,कान की बाली, कंघी,
मां शैलपुत्री आरती
शैलपुत्री मां बैल सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
नवरात्रि में इन कार्यों को करने से बचें
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों में कुछ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। इस अवधि में बाल कटवाना, दाढ़ी बनवाना और नाखून काटना अशुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी रुष्ट हो जाती हैं। यदि आपने घर में कलश स्थापना की है या अखंड ज्योति जलाई है, तो घर को कभी भी सूना नहीं छोड़ना चाहिए। किसी न किसी सदस्य का घर में रहना अनिवार्य होता है। इन दिनों में चमड़े से बनी वस्तुओं जैसे बेल्ट, जूते या बैग का उपयोग करने से भी बचना चाहिए।
यदि ज्योति बुझ जाए तो क्या करें?
अगर पूरी सावधानी के बावजूद ज्योति बुझ जाए, तो घबराएं नहीं। तुरंत देवी से क्षमा-प्रार्थना करते हुए और उनके मंत्रों का जाप करते हुए ज्योति को दोबारा जला दें। याद रखें कि इस साधना में आपकी श्रद्धा और भावना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। सच्ची निष्ठा से की गई पूजा को देवी अवश्य स्वीकार करती हैं।
अखंड ज्योति का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है और मां भगवती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस ज्योति के प्रकाश से परिवार के सदस्यों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यह परिवार की सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोषों को भी समाप्त करती है।
पूजा सामग्री
मिट्टी, मिट्टी का घड़ा, मिट्टी का ढक्कन, कलावा, जटा वाला नारियल,
जल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक,
बंदनवार, पान, सुपारी,
बताशा, लाल रंग का कपड़ा,
फूल, घी, फूल माला, आम के पत्ते, पंचमेवा
पूजा की थाली, दीपक,
हल्दी, मौली, रोली, कमलगट्टा,
शहद, शक्कर, नैवेध,
नारियल जटा वाला, सूखा नारियल,
दूध, वस्त्र, दही, लौंग, मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर
नवरात्रि 9 नहीं, 10 दिन की होगी
इस साल शारदीय नवरात्रि 9 नहीं, 10 दिन की होगी। नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होगी। तृतीया तिथि का व्रत 24 और 25 सितंबर को रखा जाएगा। इस बार तृतीया तिथि दो दिन रहेगी, जिससे शारदीय नवरात्रि में एक दिन की वृद्धि होगी। नवरात्रि में बढ़ती तिथि को शुभ माना जाता है, जबकि घटती तिथि को अशुभ, नवरात्रि में बढ़ती तिथि शक्ति, उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।।
मां शैलपुत्री की आराधना का मंत्र
पूजन के दौरान इस मंत्र का जाप करने से मां शैलपुत्री की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः।
मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा
माता शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना गया है। पूर्व जन्म में वे राजा दक्ष की कन्या सती थीं, जिन्होंने भगवान शिव से विवाह किया था। दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में शिव का अपमान देख सती ने आत्मदाह कर लिया। इसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर यज्ञ ध्वस्त कर दिया और सती के शरीर को लेकर विचरण करने लगे। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के 51 अंग विभक्त किए, जो शक्तिपीठ कहलाए। इसके उपरांत सती ने हिमालय के घर जन्म लेकर शैलपुत्री के रूप में अवतार लिया।