Home » देश » आधार वाले घुसपैठियों को क्या मतदान का है अधिकार ? एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल, कोर्ट ने कहा- चुनाव आयोग को एसआईआर का अधिकार

आधार वाले घुसपैठियों को क्या मतदान का है अधिकार ? एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल, कोर्ट ने कहा- चुनाव आयोग को एसआईआर का अधिकार

नई दिल्ली। कई राज्यों में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कथित घुसपैठिए, जिनके पास आधार कार्ड हो सकते हैं, उन्हें मतदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए।. . .

नई दिल्ली। कई राज्यों में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के बीच सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कथित घुसपैठिए, जिनके पास आधार कार्ड हो सकते हैं, उन्हें मतदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए। एसआईआर पर दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये बात कही।
इस दौरान पश्चिम बंगाल और केरल राज्यों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आधार कार्ड होने के बावजूद मतदाताओं के नाम हटने का मुद्दा उठाया।

CJI ने पूछा- क्या आधार कार्ड धारक को मतदाता बना देना चाहिए?

मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्य कांत ने कहा, “मान लीजिए कि कुछ लोग दूसरे देश से भारत में घुस आए हैं। वे भारत में काम कर रहे हैं, रह रहे हैं। अगर आप उसे आधार कार्ड देते हैं, ताकि वह सब्सिडी वाले राशन या किसी भी योजना का लाभ उठा सके, तो यह हमारे संवैधानिक मूल्यों का हिस्सा है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि उसे यह फायदा दिया गया है, तो अब उसे मतदाता भी बना देना चाहिए?”

कोर्ट का सवाल- बिहार में किसी मतदाता ने चुनौती क्यों नहीं दी?

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “बिहार में बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने के बारे में जताई गई आशंकाओं के बावजूद एक भी मतदाता ने नाम हटाने को चुनौती नहीं दी। इससे पता चलता है कि मौत, प्रवासन और डुप्लीकेशन के आधार पर नाम हटाए जाने का काम सही तरीके से किया गया था।” जस्टिस बागची ने कहा, “हालांकि नाम हटाए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं दिखा। किसी एक मतदाता ने कोई चुनौती नहीं दी।।

विरोध में वरिष्ठ वकील सिब्बल ने क्या-क्या दलीलें दीं?

सिब्बल ने कहा कि इस मामले में कोर्ट का फैसला भारत में लोकतंत्र की किस्मत तय करेगा। एसआईआर से लोगों की लोकतांत्रिक भागीदारी पर असर पड़ सकता है। लाखों मतदाता खासकर अनपढ़ या गांव के रहने वाले फॉर्म नहीं भर पाएंगे और नाम कटने का खतरा रहेगा। कई मतदाता जिन्हें मृत दिखाया गया, असल में जिंदा थे, जो गलत वेरिफिकेशन को दिखाता है। आधार निवास का प्रमाण देता है, इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने कहा- चुनाव आयोग को एसआईआर का अधिकार

पीठ ने कहा कि एसआईआर कराने को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारों को चुनौती नहीं दी जा सकती और आयोग के पास ऐसा करने का पूरा संवैधानिक और कानूनी अधिकार है। जस्टिस बागची ने कहा कि चुनाव आयोग के पास जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21(3) के तहत SIR कराने की शक्ति है। इस पर सिब्बल ने कहा कि वे आयोग की शक्तियों पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि प्रक्रिया के सही होने को चुनौती दे रहे हैं।

12 राज्यों में चल रही है एसआईआर की प्रक्रिया

4 नवंबर से 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है, जो 7 फरवरी तक चलेगी। यह प्रक्रिया फिलहाल अंडमान-निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चल रही है। इनमें से 4 राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल समेत कई राज्य प्रक्रिया का भारी विरोध कर रहे हैं।

Web Stories
 
शरीर को गर्म रखने के लिए खाएं ये ड्राई फ्रूट्स इन लोगों को नहीं पीनी चाहिए ग्रीन टी रोजाना एक मुट्ठी अंकुरित मूंग खाने से दूर रहती हैं ये परेशानियां पथरी के दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए क्या करें? सर्दियों में ब्रेन स्‍ट्रोक से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स