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ओडिशा ट्रेन दुर्घटना : शवों को भी नहीं बख्श रहा इंसान, अमीरी की चाहत में बेच दिया जमीर !

बालासोर। ओडिशा में शुक्रवार शाम को हुए भयानक हादसे के बाद राहत और बचाव के लिए सबसे पहले पहुंचने वालों में स्थानीय लोग और स्वयं सेवक ही शामिल थे। उन्होंने दुर्घटना के शिकार हुए यात्रियों की मदद में अपनी तरफ. . .

बालासोर। ओडिशा में शुक्रवार शाम को हुए भयानक हादसे के बाद राहत और बचाव के लिए सबसे पहले पहुंचने वालों में स्थानीय लोग और स्वयं सेवक ही शामिल थे। उन्होंने दुर्घटना के शिकार हुए यात्रियों की मदद में अपनी तरफ से जी-जान लगा दी थी। एक ऑटो वाले ने दुर्घटना स्थल से अस्पताल तक घायलों को ले जाने के लिए मुफ्त में कितने फेरे लगाए, शायद उसे भी याद नहीं। लेकिन, ऐसी घटनाओं के दौरान भी समाज का एक बहुत ही स्याह चेहरा सामने आया है, जो इंसानियत को झकझोर देता है।
शिनाख्त की वजह से शवों को सौंपने में देरी
ओडिशा के बालासोर जिले में हुए ट्रेन हादसे में मौतों का आंकड़ा बढकर 278 तक पहुंच गया है। इस हादसे में करीब 1,200 लोग जख्मी हुए थे, जिनमें से कुछ की हालत अभी तक गंभीर बनी हुई। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि 101 शवों को परिजनों को इसलिए नहीं सौंपा गया है, क्योंकि उनकी शिनाख्त नहीं हो पाई है।
शवों के लिए भी धोखाधड़ी
दरअसल, अब एक शव को दुखों के बोझ के पहाड़ से दबे परिजनों को सौंपने से पहले पुलिस-प्रशासन को बहुत ज्यादा छानबीन करनी पड़ रही है। क्योंकि, उन्हें इस बात के लिए सावधान किया गया है कि मृत शरीरों पर भी दावे के लिए धोखाधड़ी हो रही है।
शवों को सौंपने से पहले पूरी तहकीकात के निर्देश
ओडिशा के मुख्य सचिव पीके जेना ने भी सोमवार को कहा था कि शवों को परिजनों के हवाले करने से पहले पूरी तहकीकात करने के निर्देश दिए गए हैं। अब पता चला है कि ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि रविवार को एक महिला एक शव को अपने पति का बताकर उसपर दावा कर रही थी।
एक महिला झूठे दावे के साथ शव ले जाना चाहती थी
रविवार को 40 वर्षीय एक महिला बालासोर आई। उसने खुद को कटक की रहने वाली गीतांजलि दत्ता बताया। वह बालासोर के अस्थायी शव गृह पहुंची। वहां पुलिस के लोग अपने परिजनों का शव लेने आए पीड़ित परिवारों के दस्तावेजों की छानबीन कर रहे थे। तभी पुलिस को उस महिला की गतिविधियों पर संदेह हुआ।
‘एक फोटो उठाकर दावा किया कि यह उसका पति था’
ओडिशा पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर बिकास कुमार पाली ने टीओआई से कहा, ‘मुझे उसके इरादे पर शक हुआ, क्योंकि वह बहुत ही असामान्य रूप से शांत दिख रही थी। उसने कुछ अज्ञात शवों की तस्वीरें देखी। उसने एक तस्वीर उठा लिया और दावा किया कि यह उसका पति था।’
पुलिस को पता चला कि उसका पति जिंदा है
पाली को संदेह तो पहले ही हो चुका था। उन्होंने बताया कि ‘हमने बारम्बा थाने में संपर्क किया, जिस इलाके में वो रहती है। एक घंटे के अंदर पुलिस का जवाब आया कि उसका पति जिंदा है। जब हमने उसे फटकार लगाई तो वह भागने लगी। उसका इरादा मुआवजा लेने का था।’ इस घटना के बाद सरकार भी सतर्क हो गई है। मुख्य सचिव ने रेलवे और ओडिसा पुलिस से कहा है कि ऐसे फर्जी दावेदारों के खिलाफ कार्रवाई करें, जो मुआवजे के लिए फर्जीवाड़े कर सकते हैं।
मुआवजा लेने के लिए जमीर बेच रहे लोग!
यह बहुत ही घिनौना अपराध है। एक तो किसी की हादसे में जान चली गई है। उसके परिजनों की दुनिया उजड़ गई है। अगर उन्हें अपनों के शवों को भी आखिरी बार देखने के मौके से वंचित कर दिया जाए तो वह जिंदगी भर तड़पते ही रह जाएंगे! ऊपर से उन्हें आगे का जीवन चलाने के लिए जो सहायता मिलने वाली होगी, वह भी दूसरे लूट ले जाएंगे!

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