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जाने कहां है अविवाहितों का ऐतिहासिक किला, यहां शादियां हैं बैन, वजह ऐसी कि हैरान रह जाओगे

नई दिल्ली। दिल्ली में एक ऐसी जगह है, जो बेहद ही ऐतिहासिक है। यहां पर रहने वाले लोग कभी शादी नहीं करते हैं। यहां लोगों का अविवाहित रहना ही नियम है, और तो और यहां पर रहने वाले लोग अपनी. . .

नई दिल्ली। दिल्ली में एक ऐसी जगह है, जो बेहद ही ऐतिहासिक है। यहां पर रहने वाले लोग कभी शादी नहीं करते हैं। यहां लोगों का अविवाहित रहना ही नियम है, और तो और यहां पर रहने वाले लोग अपनी जिंदगी सामाजिक कार्यों और देश के लिए समर्पित कर देते हैं। जब आप यहां पर जाएंगे, तो आपको ऐसा लगेगा कि आप विदेश आ गए हैं, क्योंकि यहां का वातावरण और पूरा माहौल दिल्ली के शोर-शराबे और प्रदूषण से बहुत अलग है।
यहां बड़े-बड़े पत्थरों से इस इमारत को तैयार किया गया है। ये पत्थर अब भारत के किसी कोने में नहीं मिलते हैं। यहां बाहर लिखा है ब्रदरहुड सोसाइटी, जहां पर तगड़ी चेकिंग लगी हुई है। यहाँ रहने वाले शिक्षाविद्द ब्रदर सोलोमन जॉर्ज से, जिन्होंने यहां का पूरा दिलचस्प इतिहास बताया और यह भी बताया कि आखिर शादी न करने के पीछे की क्या वजह है।

ये है ब्रदरहुड सोसाइटी का इतिहास

शिक्षाविद्द ब्रदर सोलोमन जॉर्ज ने बताया कि कैम्ब्रिज मिशन इस सोसाइटी का पुराना नाम है। आजादी के बाद इसका नाम दिल्ली ब्रदरहुड सोसाइटी कर दिया गया था। पहले यह कपड़ों वाले बाजार में हुआ करती थी, लेकिन 1925 में यहां के पहले जो प्रभारी थे। उनका नाम था जेएफ वेस्टर्न था। उन्होंने डेढ़ एकड़ की जमीन देखी और इसे 1925 में ही तैयार कराया। इसीलिए यहां का स्ट्रक्चर और पत्थर बेहद अनोखे हैं और ऐसा स्ट्रक्चर और पत्थर अब देश के किसी भी कोने में आपको नहीं मिलेगा।
आजादी के बाद इंडियन फादर आए और उन्होंने इसका नाम बदला और यह सोसाइटी पूरी तरह से देश और समाज के लिए समर्पित है। यहां पर विदेशी फादर कोई भी नहीं है। कैम्ब्रिज ब्रदरहुड ने 1881 में सेंट स्टीफन कॉलेज की स्थापना दिल्ली में की थी। इसके अलावा इस सोसाइटी का सेंट स्टीफन अस्पताल और स्कूल भी है। इस सोसाइटी के पहले सदस्य सीएफ एंड्रयूज थे, जो कि महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ के घनिष्ठ मित्र थे. यहां पर महामहिम महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में दिल्ली ब्रदरहुड सोसाइटी का दौरा किया था।

जानें क्यों नहीं करते शादी

शिक्षाविद्द ब्रदर सोलोमन जॉर्ज ने बताया कि इस सोसाइटी का नियम है कि जो भी इसमें प्रमुख फादर हैं, वो शादी नहीं कर सकते। उन्हें अपना जीवन गरीबों और वंचितों की मदद करने के साथ ही ईश्वर के लिए समर्पित करना होता है। उन्हें समाज को शिक्षित करना होता है। सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देना होता है। यहां के शास्त्रों और जो नियम की किताबें हैं। उनमें लिखा है कि यहां के फादर कभी शादी नहीं कर सकते।
यदि ऐसा कोई करता है, तो उसे बेदखल कर देते हैं। इसीलिए इसमें वही लोग आते हैं, जो पूरी तरह से यह तय कर चुके होते हैं कि उन्हें शादी नहीं करनी है।उन्होंने बताया कि जैसे हिंदू धर्म में एक तरह से संन्यास ले लेते हैं। वैसे ही इसमें भी आने वाले फादर अपने जीवन को समाज के लिए समर्पित कर देते हैं।

ऐसी होती है लाइफ स्टाइल

शिक्षाविद्द ब्रदर सोलोमन जॉर्ज ने बताया कि वर्तमान में यहां पर चार फादर हैं और कर्मचारी हैं। यहां की लाइब्रेरी में 26000 किताबें हैं। सभी धर्म की किताबें हैं। सभी धर्म का ज्ञान इसमें रहने वाले फादर को होना चाहिए। यही ये सोसाइटी मानती है। यहां पर प्रार्थना घर और मेस है। जहां पर सभी खाना खाते हैं। यहां पर कड़े नियमों को फॉलो किया जाता है। जैसे रात 8:00 बजे खाना हर हाल में खाना होता है। उन्होंने यह भी बताया कि वह खुद 1998 से इस संस्थान में जुड़े हुए हैं। आज इस संस्थान के कॉलेज, स्कूल और अस्पताल के जरिए लाखों लोगों को फायदा हो रहा है।