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देश के पहले गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी के पड़पोते भाजपा में शामिल, फरवरी में छोड़ी थी कांग्रेस

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व नेता और स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केसवन भाजपा में शामिल हो गए हैं। हाल ही में केसवन ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस को तीन दिनों. . .

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व नेता और स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर-जनरल सी राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केसवन भाजपा में शामिल हो गए हैं। हाल ही में केसवन ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस को तीन दिनों में ये तीसरा झटका लगा है। आज भाजपा का दामन थामने के बाद केसवन ने कहा, ” मैं दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी-भाजपा में शामिल करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं, खासकर उस दिन जब हमारे पीएम तमिलनाडु में हैं।
पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि पीएम मोदी की जन-केंद्रित नीतियां, भ्रष्टाचार-मुक्त शासन और सुधार-आधारित समावेशी विकास एजेंडा ने भारत को एक नाजुक अर्थव्यवस्था से दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि मैं पीएम के कार्यों से प्रभावित होकर ही भाजपा में शामिल हुआ हूं।
23 फरवरी को कांग्रेस से दिया इस्तीफा
केसवन ने 23 फरवरी को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने ट्विटर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा पत्र साझा करते हुए कहा था कि पार्टी ने उनके दो दशकों से अधिक समर्पण के साथ किए गए काम की कोई कद्र नहीं की, जिसके चलते उन्हें ये कदम उठाना पड़ा।
कांग्रेस को 3 दिन में 3 झटके
कांग्रेस पार्टी को दक्षिण में 3 दिन में तीन झटके लगे हैं। केसवन से पहले गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी और इसके बाद शुक्रवार को अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व और अंतिम सीएम किरण कुमार रेड्डी ने भाजपा का दामन थामा था।
बता दें कि अनिल एंटनी ने विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में आने के बाद पार्टी से इस्तीफा दिया था। पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा था कि बीबीसी भारत के खिलाफ काम करती है और वो इसकी खिलाफत करेंगे ही।
केसवन ने कांग्रेस पर कसे तंज
वहीं, केसवन ने अपने इस्तीफे में कहा था कि किसी भी विपक्षी राजनीतिक दल के पास लोगों के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित सोच और संदेश होना चाहिए। उन्हें आदर्श रूप से जन-केंद्रित मुद्दों को उठाना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से, समय के साथ मैंने महसूस किया कि कांग्रेस पार्टी का रवैया और दृष्टिकोण शायद ही कभी ठोस और सुसंगत रही।

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