पटना। बिहार चुनाव 2025 में मिली करारी हार के बाद महागठबंधन में शामिल मुख्य घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने समीक्षा बैठक की। बैठक में चर्चा के दौरान रोहिणी आचार्य को लेकर सवाल उठा। राजद नेताओं ने रोहिणी के मायके छोड़ने और तेजस्वी पर लगाए आरोपों पर सवाल उठाया। तभी इस मुद्दे पर काफी दिनों से चुप्पी साधे बैठे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपना ‘मौन’ तोड़ दिया। सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव ने एक लाइन में पार्टी नेताओं को जवाब देते हुए कहा कि ‘यह परिवार का मामला है। परिवार के अंदर ही इसको सुलझा लिया जाएगा।’
रोहिणी विवाद पर लालू ने पार्टी नेताओं को दिया आदेश
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में मौजूद तेजस्वी-राबड़ी देवी की मौजदूगी में लालू यादव ने पार्टी नेताओं से कहा कि ‘आप लोग इसकी चिंता न करें। हमारे घर का विवाद है। इसे हम घर में ही सुलझा लेंगे। विवाद सुलझाने के लिए अभी हम जिंदा हैं।’ इसके साथ ही लालू यादव ने अपने विधायकों को भी रोहिणी मामले पर सार्वजनिक टिप्पणी न करने की सलाह दी।
बता दें, लालू यादव को किडनी दान देने वालीं डॉ. रोहिणी आचार्य ने बीते दिनों तेजस्वी यादव पर मारपीट जैसे संगीन आरोप लगाए थे। रोहिणी ने सिंगापुर जाने से पहले पटना एयरपोर्ट के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा था कि ‘मेरा कोई परिवार नहीं, चप्पल उठाकर मारा जाएगा।’
राजद की समीक्षा बैठक में क्या रहा?
इस बैठक में चुनाव में मिली हार की समीक्षा की गई। यह माना गया कि पार्टी लोगों तक अपनी बातों को सही ढंग से पहुंचाने में असफल रही। बैठक के बाद राजद नेता संजीव कुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस मीटिंग में तेजस्वी यादव को विधानमंडल दल का नेता चुना गया और सभी विधायकों ने इसका समर्थन किया। संजीव कुमार ने कहा कि यह परिणाम नहीं होना था। बिना किसी गड़बड़ी के ऐसा परिणाम नहीं आ सकता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट जाने को लेकर भी योजना बनाई जा रही है। बैठक में फिर से संगठन के लिए जुटने का और संगठन को फिर से मजबूत करने का दिशा-निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि यह चौंकाने वाला परिणाम है।
इस बैठक में विजयी और हारे उम्मीदवार उपस्थित रहे। बैठक में राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और मीसा भारती सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
बिहार चुनाव में कैसा रहा महागठबंधन का प्रदर्शन?
बता दें, बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। राजद को 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा, तो वहीं सहयोगी दल कांग्रेस को छह सीटें मिली हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन को दो सीटें मिलीं। इंडियन इन्क्लुसिव पार्टी और माकपा को एक-एक सीट मिली है। विकासशील इंसान पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया।