डेस्क। दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में कई सारे चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। हाल ही में सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर सामने आई है कि ये आतंकी मॉड्यूल सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उत्तर प्रदेश के दो सबसे बड़े और संवेदनशील धार्मिक स्थल इनके निशाने पर थे। सामने आई जानकारी के अनुसार अयोध्या का राम मंदिर और वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर आतंकियों के प्रमुख टारगेट थे। एनआईए ने जांच का नेतृत्व करने के लिए दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस से जानकारी एकत्रित करते हुए एक विशेष 10 सदस्यीय टीम का गठन किया है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि गिरफ्तार आतंकियों के फरीदाबाद माड्यूल के निशाने पर यूपी के बड़े मंदिर और धार्मिक स्थल थे. खास तौर पर अयोध्या और वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर।
अयोध्या में सक्रिय थे स्लीपर सेल
जांच एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल मामले में गिरफ्तार हुई डॉ. शाहीन का सीधा कनेक्शन इस बड़ी साजिश से है। बताया जा रहा है कि डॉ. शाहीन ने अयोध्या में स्लीपर सेल (गुप्त रूप से सक्रिय आतंकी) को एक्टिवेट कर रखा था, जिसका उद्देश्य इन धार्मिक स्थलों पर विस्फोट करना था जांच से पता चला है कि गिरफ्तार आतंकियों के नेटवर्क का विस्तार न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर, बल्कि यूपी के कई संवेदनशील इलाकों तक फैला हुआ था।
शाहीन का स्लीपर माड्यूल अयोध्या में
सूत्रों के मुताबिक शाहीन ने अयोध्या के स्लीपर सेल को एक्टिव भी कर रखा था. अयोध्या में ये सारे घटनाक्रम को अंजाम तक पंहुचाते उससे पहले ये बड़ा घटनाक्रम हुआ एटीएस और पुलिस की रेड और गिरफ़्तारियों ने सारा भंडाफोड़ कर दिया.
दिल्ली ब्लास्ट का तुर्की कनेक्शन
जांच एजेंसियों ने डॉ उमर और डॉ मुजम्मिल के पासपोर्ट की जांच की तो तुर्की कनेक्शन भी सामने आया. टेलीग्राम ग्रुप्स से जुड़ने के बाद इन संदिग्धों ने तुर्की की यात्रा की थी.
26/11 जैसा हमला
सूत्रों के मुताबिक आतंकी 26/11 जैसे हमले को अंजाम देनाचाहते थे. सारे आतंकी जनवरी 2005 से ही हमले की योजना और तैयारी में जुट गए थे.
आतंकी दिल्ली में लाल किला, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, इंडिया गेट, रेलवे स्टेशन के साथ ही गौरी शंकर मंदिर और शॉपिंग माल्स को निशाना बनाना चाहते थे.आतंकियों ने इसके लिए 200 आईईडी विस्फोट बनाने की योजना बनाई थी. फरीदाबाद माड्यूल में शामिल ज्यादातर आतंकी डॉक्टर हैं. इसलिए वे अपनी व्हाइट कॉलर जॉब का फायदा उठाकर तेजी से नेटवर्क बना रहे थे. उन्हें यकीन था कि कोई उन पर शक भी नही करेगा और वे अपने मकसद को अंजाम देंगे.