पटना। बिहार में आखिरकार बीजेपी-जेडीयू गठबंधन टूट गया है। जानकारी के मुताबिक सीएम नीतीश कुमार के आवास पर जेडीयू विधायक दलों की बैठक में बीजेपी से अलग होने का फैसला ले लिया गया है। विधायक दल की बैठक में फैसला लिया गया है कि जेडीयू अब बीजेपी के साथ नहीं रह सकती। हालांकि पार्टी की तरफ से गठबंधन खत्म करने को लेकर औपचारिक ऐलान अभी बाकी है। खबर है कि आज शाम चार बजे नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के साथ राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं। राज्यपाल से मिलकर नीतीश पुरानी सरकार का इस्तीफा और नई सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं
नीतीश को बीजेपी से दर्द तो बहुत हैं, लेकिन बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के लिए कैंसर बनी बस ये दो बात
खबर है कि नीतीश कुमार तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। एक तरफ जहां जेडीयू खेमे में हलचल है वहीं दूसरी तरफ राबड़ी आवास पर विधायक दलों की बैठक चल रही है। आरजेडी की तरफ से भी अभी तक नीतीश कुमार की की पार्टी जेडीयू को समर्थन का औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। लेकिन लालू यादव की बेटियां ट्वीट कर इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि बिहार में एक बार फिर आरजेडी और जेडीयू गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। लालू यादव की बेटी रोहिणी के बाद अब उनकी चंदा यादव ने भी ट्वीट में लिखा है तेजस्वी भव: बिहार। इससे पहले रोहिणी सिंह ने ट्वीट कर लिखा था- राजतिलक की करो तैयारी, आ रहे हैं लालटेन धारी
बर्खास्त किए जाएंगे भाजपा कोटे के मंत्री
सूत्रों के मुताबिक नीतीश कैबिनेट में शामिल भाजपा कोटे के मंत्रियों को बर्खास्त किया जा सकता है। राज्यपाल को मुख्यमंत्री इस संदर्भ में पत्र सौंप सकते हैं। नीतीश कैबिनेट में वर्तमान में भाजपा कोटे के 16 मंत्री है, जिसमें 2 डिप्टी सीएम भी है।
फ्लोर टेस्ट के लिए पहले से ही तैयारी
गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार अब फ्लोर टेस्ट कराने की भी तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार सभी विधायकों को पटना में अगले 72 घंटों तक रहने का निर्देश दिया गया है। जदयू के पास बिहार विधानसभा में 45 विधायक हैं।
राजद-माले के 14 विधायकों की सदस्यता पर संकट
पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में हुए भारी हंगामे और विपक्षी विधायकों द्वारा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के साथ किये गये दुर्व्यवहार मसले पर विधानसभा की आचार समिति की सिफारिश के आधार पर 14 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है। राज्य में जारी सियासी गतिविधि के बीच इस मसले पर भी फैसले लिये जाने की आशंका व्यक्त की जाने लगी है।
दरअसल, आचार समिति की सिफारिश अभी स्पीकर के स्तर पर विचाराधीन है। उस रिपोर्ट में क्या कार्रवाई की अनुशंसा की गई है यह सदन में पेश होने पर ही पता चलेगा। पर सूत्रों की मानें तो आरोपी 14 विधायकों की सदस्यता जाने का खतरा बरकरार है।