जलपाईगुड़ी। पूरे देश के साथ ही आज जलपईगुड़ी, मालदा , सिलीगुड़ी सहित उत्तर बंगाल के विभिन्न जगहों में महान आध्यात्मिक गुरु, महान संत, और महान विचारक स्वामी रामकृष्ण परमहंस की जन्मतिथि मनाई जा रही है। मां काली के उपासक के महान उपासक स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस का जन्म फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था। इस साल रामकृष्ण परमहंस जयंती आज 04 मार्च दिन शुक्रवार को है
इस अवसर पर जलपाईगुड़ी के रामकृष्ण मिशन आश्रम में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा और यहाँ भक्तिभाव और श्रद्धा के साथ ठाकुर स्वामी रामकृष्ण परमहंस की जयंती मनाई गयी। इस अवसर पर दूर दूर से ठाकुर रामकृष्णदेव परमहंस जी के अनुयायी आये हुए थे, क्योंकि उनको ठाकुर रामकृष्णदेव के प्रति काफी आस्था है। इस अवसर पर विशेष पूजा-पाठ और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
आश्रम में भक्तों का समागम के साथ सुबह में मंगल आरती शुरू हुई। इसके बाद वेद मंत्र पाठ, विशेष पूजा, लीला प्रसंग पाठ, कथा और गीत, श्रीरामकृष्ण को लेकर कार्यक्रम, पुष्पांजलि, भजन, हवन सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। साथ आश्रम के स्वामी जी ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। बाद में संध्या आरती, विशेष कार्यक्रम चर्चा सहित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिन को मनाया गया।
मालदा में आज नगरपालिका के वार्ड सात से नवनिर्वाचित तृणमूल पार्षद शत्रुघ्न सिन्हा के द्वारा आज रामकृष्ण परमहंस देव की जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। शुक्रवार सुबह पुराने मालदा नगरपालिका के बाचामारी मोड़ पर सात नम्बर वार्ड के नवनिर्वाचित तृणमूल पार्षद शत्रुघ्न सिन्हा द्वारा श्री श्री रामकृष्ण परमहंस की जयंती मनाई गई। इस दिन श्री सिन्हा ने रामकृष्ण परमहंस की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
आपको बता केन की महान आध्यात्मिक गुरु, महान संत, और महान विचारक स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी का अवतरण फल्गुन माह के शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि यानि 18 फरवरी, 1836 को वर्तमान पश्चिम बंगाल प्रान्त के कामारपुकुर नामक ग्राम में एक साधारण ब्रह्मण परिवार खुदीराम चटर्जी और चन्द्रमणि देवी के घर में हुआ था। परमहंस का जन्म फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था, इसलिए इस साल रामकृष्ण परमहंस जयंती आज 04 मार्च दिन मनाया जा रहा है।
कहा जाता है कि इनके माता-पिता इनके जन्म के पहले से ही कई अलौकिक घटनाओं को अनुभव करने लगे थे। इनके पिता खुदीराम ने एक स्वप्न में देखा था कि भगवान गदाधर (विष्णु के अवतार) ने उनसे कहा कि वह उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने वाले हैं, जबकि उनकी माता चन्द्रमणि देवी ने एक शिव मन्दिर में अपने गर्भ में किसी अज्ञात प्रकाश बिम्ब को प्रवेश होते देखा था। भगवान गदाधर का ही अंश मानकर यह ब्राह्मण परिवार ने अपने नवजात शिशु का नाम ‘गदाधर’ रखा था।