मुंबई। ये जीत, ये सफर और इस सफर की कहानियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देंगी। इस महिला विश्वकप की चैम्पियन देश की बेटियां बनी हैं। पर ये सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। जब हमने इस विश्व कप की शुरुआत की तो शुरुआती जीत से लगा सफर बहुत आसान होने वाला है। फिर मुश्किल मैचों में हम जीतते-जीतते हारे। स्थिति यहां तक पहुंची कि न्यूजीलैंड से हार का मतलब होता हम सेमीफाइनल की दौड़ से भी बाहर हो जाते। करो या मरो के इस मैच में टीम की उपकप्तान स्मृति मंधाना और ओपनर प्रतिका रावल ने शतक लगाकर टीम को जीत दिलाई। सिर्फ जीत नहीं हमें सेमीफाइनल में पहुंचाया। पहले बात उस करो या मरो मुकाबले की…
स्मृति और प्रतिका के पराक्रम से न्यूजीलैंड पस्त
लीग चरण का ये छठवां मुकाबला था। भारत और न्यूजीलैंड दोनों के लिए हार का मतलब उम्मीदें खत्म वाला मैच। मुकाबले की शुरुआत हुई तो हम टॉस हार गए। न्यूजीलैंड ने गेंदबाजी का फैसला किया। इसके बाद बल्लेबाजी करने उतरीं भारत की दोनों ओपनर स्मृति मंधाना और प्रतिका रावल ने बेहद शानदार शुरुआत की। दोनों ने 212 रन की साझेदारी की। दोनों ने शतक लगाया। प्रतिका रावल ने 134 गेंद पर 122 रन बनाए। वहीं, उप कप्तान स्मृति मंधाना ने महज 95 गेंदों पर 109 रन की पारी खेली। तीसरे नंबर पर उतरीं जेमिमा रॉड्रिग्स ने 55 गेंद पर 76 रनों की पारी खेली। भारत ने 340 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। जवाब में बारिश से प्रभावित इस मुकाबले में न्यूजीलैंड टीम 44 ओवर में 271 रन ही बना सकी। टीम इंडिया ने 53 रन से जीत हासिल की। क्योंकि डकवर्थ लुईस नियम के चलते न्यूजीलैंड को 44 ओवर में 325 का लक्ष्य मिला था। इस जीत के साथ हमारा सेमीफाइनल में पहुंचना पक्का हो गया।
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सेमीफाइनल से पहले आई बुरी खबर
सेमीफाइनल में पहुंचे तो मैच से पहले ही बुरी खबर आई। बुरी खबर ये की करो या मरो मुकाबले में शतक लगाने वाली प्रतिका चोटिल होकर टूर्नामेंट से ही बाहर हो गईं। सेमीफाइनल में पहुंचने वाली चारों टीमों में भारत चौथे नंबर पर रहा। सेमीफाइनल में उसका मुकाबला सात बार विश्व विजेता और पूरे टूर्नामेंट में अजेय ऑस्ट्रेलिया से था। प्रतिका की जगह टीम में शेफाली वर्मा को शामिल किया गया।
सेमीफाइनल: जेमिमा के मैजिक ने रच दिया इतिहास
सेमीफाइल मुकाबले में भारत का समाना विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से था। वो ऑस्ट्रेलिया जो विश्वकप में लगातार 15 मैच जीत चुकी थी। वो ऑस्ट्रेलिया जो सात बार की विश्व चैंपियन है। एक बार फिर हम टॉस हारे। ऑस्ट्रेलिया ने बैटिंग का फैसला किया। जब ओपनर लिचफिल्ड और पैरी बल्लेबाजी कर रहीं थी तो लग रहा था कि ये टीम 400 रन बना सकती है। हालांकि, युवा गेंदबाज अमजोत कौर ने पहले ये साझेदारी तोड़ी फिर इस टूर्नामेंट की खोज श्री चरणी ने एक के बाद एक दो विकेट लेकर 400 की ओर बढ़ रही ऑस्ट्रेलियाई टीम पर लगाम लगाई। भारत ने विश्व चैंपियन को 338 पर रोक दिया। जीत के लिए हमें रिकॉर्ड चेज करना था। टूर्नामेंट की सफल ओपनर जोड़ियों में शामिल भारतीय जोड़ी टूट चुकी थी। सोमवार को टीम में शामिल की गईं शेफाली वर्मा स्मृति के साथ ओपनिंग करने आईं। 59 रन तक दोनों ओपनर वापस लौट चुकीं थीं। इसके बाद कप्तान हरमनप्रीत के साथ जेमिमा रॉड्रिग्स ने टीम को संभाला। जेमिमा को इससे पहले प्लेइंग इलेवन से बाहर किया जा चुका था। जेमिमा ने कप्तान के साथ ऐसी पारी खेली जो इतिहास में दर्ज हो गई। हरमनप्रीत ने 89 रन बनाए। वहीं जेमिमा टीम को जीत दिलाकर लौंटी। जेमिमा ने नाबाद 127 रन बनाए और प्लेयर ऑफ द मैच रहीं। 339 का रिकॉर्ड चेज करके भारत फाइनल में पहुंचा।
फाइनल: छह दिन में बदली शेफाली की जिदंगी
27 अक्तूबर को टीम में शामिल की गईं शेफाली वर्मा सेमीफाइनल में मुकाबले में कुछ खास नहीं कर सकीं। हर प्रशंसक को प्रतिका की कमी खली, लेकिन 21 साल की शेफाली की जिदंगी बदलने वाली थी। वो शेफाली जो एक साल से वनडे टीम से बाहर थीं। वो शेफाली जिन्हें महिला क्रिकेट का सहवाग कहा जाता है। वो शेफाली जिन्होंने सचिन को देखकर क्रिकेट खेलना शुरू किया। उन्हीं शेफाली ने जिंदगी बदलने के लिए वो दिन चुना जिस दिन उनका मैच खुद सचिन देख रहे थे। फाइनल मुकाबले में शेफाली ने पहले बल्ले से कमाल किया। फिर गेंद से भी अपना जादू बिखेरा।
फाइनल मुकाबले में भी भारत एक बार फिर टॉस हारा। इस बार उसे पहले बल्लेबाजी करने के लिए कहा गया। शेफाली वर्मा और स्मृति मंधाना ने पहले विकेट के लिए 104 रन की साझेदारी की। स्मृति 45 रन बनाकर आउट हुईं। शेफाली ने 87 रन की पारी खेली। एक वक्त लग रहा था भारत 325 से ज्यादा का स्कोर खड़ा करेगा, लेकिन डेथ ओवर में दक्षिण अफ्रीका की कसी गेंदबाजी के चलते हम 298 रन ही बना सके। मध्य क्रम में आईं दीप्ति शर्मा ने एक बार फिर अर्धशतकीय पारी खेली। ये उनका इस विश्वकप में तीसरा अर्धशतक था। गेंदबाजी की बारी आई तो भारत और जीत के बीच अफ्रीकी कप्तान दीवार की तरह खड़ी नजर आईं। जब तक वो क्रीज पर रहीं विरोधी टीम की जीत की उम्मीदें कायम रहीं। एक समय अफ्रीक ने दो विकेट पर 114 रन बना लिए थे। उस वक्त शेफाली वर्मा ने एक बाद एक दो विकेट लेकर भारत को मैच में वापसी कराई। इसके बाद शुरू हुआ दीप्ति शर्मा का जादू। दीप्ति ने नियमित अंतराल पर दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों को पवेलियन भेजना जारी रखा और जीत की इबारत लिख दी। शेफाली वर्मा को प्लेयर ऑफ द फाइनल चुना गया तो दीप्ति प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहीं।