नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की बढ़ती चिंताओं के बीच भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। देश में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार ने “कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (CCUS)” तकनीक को बढ़ावा देने की एक नई योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत चुनिंदा उद्योगों और परियोजनाओं को 50 से 100 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
कोयले पर निर्भरता बनी रहेगी, लेकिन पर्यावरण को नुकसान नहीं
भारत की ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा हिस्सा अभी भी कोयले पर निर्भर है। ऐसे में यह योजना ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास मानी जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि कोयले का इस्तेमाल जारी रखते हुए भी पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके।
किन क्षेत्रों को होगा फायदा?
सरकारी योजना का सीधा लाभ स्टील, सीमेंट और पावर जैसे भारी उद्योगों को मिलेगा, जहां कार्बन उत्सर्जन सबसे अधिक होता है। CCUS तकनीक से इन उद्योगों को अपने उत्सर्जन स्तर को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी।
CCUS तकनीक से क्या होगा?
CCUS तकनीक के ज़रिए कार्बन डाइऑक्साइड को:
- कैप्चर (पकड़ा) जाएगा,
- उपयोग (यूटिलाइज) किया जाएगा औद्योगिक उत्पादों या ईंधनों में,
- और/या भंडारण (स्टोर) किया जाएगा सुरक्षित भू-गर्भीय संरचनाओं में।
यह तकनीक न केवल प्रदूषण को घटाने में मददगार होगी, बल्कि इससे नई नौकरियों के अवसर भी पैदा होंगे और हरित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
विशेषज्ञों की राय
ऊर्जा और पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत को 2050 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य हासिल करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ाएगी। साथ ही, इससे भारत को वैश्विक जलवायु नेतृत्व में एक मजबूत स्थान मिल सकता है।
सतत विकास की ओर भारत का बड़ा कदम
यह नई योजना भारत की हरित विकास यात्रा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकती है। आने वाले वर्षों में, यदि इसे सही दिशा और संसाधनों के साथ लागू किया गया, तो यह पहल भारत को जलवायु परिवर्तन से निपटने की वैश्विक दौड़ में आगे ले जा सकती है।
 
				 
															 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
															 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								