नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि हाल के वैश्विक संघर्षों से पता चलता है कि युद्ध की अवधि और प्रकृति अप्रत्याशित रही है। उन्होंने कहा कि भारत को यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त क्षमता वृद्धि बनाए रखने की आवश्यकता है कि घरेलू डिफेंस इंडस्ट्रीज सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा कर सके। राजनाथ सिंह संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में टॉप आर्मी ऑफिसर्स को संबोधित कर रहे थे।
वैश्विक प्रगति के साथ तालमेल
संयुक्त कमांडर्स’ कॉन्फ्रेंस में bolon
रक्षा मंत्री ने तकनीक-अनुकूल सेना की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि उद्योग को युद्ध में वैश्विक प्रगति के साथ तालमेल बिठाना होगा। उन्होंने कहा कि आज के युद्ध इतने अचानक और अप्रत्याशित होते हैं कि उनकी अवधि का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है। यह दो महीने, एक साल या पांच साल भी हो सकता है। हमें तैयार रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी क्षमता पर्याप्त बनी रहे।
शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता ही वे तीन स्तंभ
उन्होंने ने कहा ऑपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध कर दिया है कि शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता ही वे तीन स्तंभ हैं जो भारत को 21वीं सदी में आवश्यक शक्ति प्रदान करेंगे। आज, हमारे पास स्वदेशी प्लेटफार्मों और प्रणालियों तथा हमारे सैनिकों के अदम्य साहस की मदद से किसी भी चुनौती का सामना करने की क्षमता है।
बायोलॉजिकल वॉर की चुनौतियों को लेकर तैयारी
सुदर्शन चक्र के निर्माण की रूपरेखा पर मंत्री ने कहा कि विशेष समिति अगले पांच वर्षों के लिए एक मध्यम अवधि की योजना और साथ ही 10-वर्षीय दीर्घकालिक दृष्टिकोण भी तैयार करेगी। इसमें सैन्य और नागरिक स्थलों के लिए डिफेंस सिस्टम और आक्रामक क्षमताओं का एकीकरण शामिल होगा। राजनाथ सिंह ने सैन्य अधिकारियों से युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से परे सोचने और सूचना, वैचारिक, पारिस्थितिक और जैविक युद्ध जैसे अपरंपरागत खतरों से उत्पन्न अदृश्य चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने का भी आग्रह किया।
रक्षा मंत्री ने बताया कि प्रोजेक्ट सुदर्शन चक्र के लिए एक यथार्थवादी कार्य योजना तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। यह व्यापक राष्ट्रीय रक्षा के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसकी घोषणा पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। सिंह ने भविष्य के लिए तैयार टेक्नोलॉजी के विकास में उद्योग और शिक्षा जगत के साथ गहन सहयोग का आह्वान किया तथा सशस्त्र बलों के बीच संयुक्तता और तालमेल के महत्व पर जोर दिया।
सिंह ने आगे कहा कि रक्षा स्वदेशीकरण आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है। ये रोजगार पैदा कर रहा है और शिपयार्ड, एयरोस्पेस क्लस्टर और रक्षा गलियारों की क्षमता बढ़ा रहा है। इसका समग्र अर्थव्यवस्था पर कई गुना प्रभाव पड़ता है।