मूवी रिव्यू: गुमराह
ऐक्टर : आदित्य रॉय कपूर,मृणाल ठाकुर,रोनित रॉय,वेदिका पिंटो
डायरेक्टर : वर्धन केतकर
श्रेणी: Hindi, crime, Thriller, सस्पेंस
अवधि : 2 Hrs 9 Min
बॉलिवुड वाले साउथ फिल्मों को हिंदी में रीमेक करने का मोह संवरण नहीं कर पा रहे हैं, यही वजह है कि इस साल ‘सेल्फी’, ‘शहजादा’ और ‘भोला’ के बाद ‘गुमराह’ के रूप में एक और रीमेक आई है। जी हां, ‘गुमराह’ 2019 में आई तमिल फिल्म ‘थड़म’ की रीमेक है। दिलचस्प बात यह है कि तेलुगू में भी ये फिल्म ‘रेड’ नाम से बनी थी। अब वर्धन केतकर के डायरेक्शन में इस हिंदी रीमेक के नायक-नायिका हैं, आदित्य रॉय कपूर और मृणाल ठाकुर। लेकिन सवाल ये है कि साउथ में आजमाया हुआ सफल नुस्खा, क्या हिंदी फिल्मों के लिए भी उतना ही मुफीद साबित होगा?
‘गुमराह’ फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक बेहद ही थ्रिलिंग अंदाज में शुरू होती है। दिल्ली में रात को एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर का कत्ल हो जाता है। इस मर्डर केस की तहकीकात करने के लिए एसीपी यादव (रोनित रॉय) और एसआई शिवानी माथुर (मृणाल ठाकुर) लगे हुए हैं। बहुत माथापच्ची करने के बावजूद पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगता, मगर अंततः शिवानी की कोशिशों से पड़ोसी के एक कपल की सेल्फी मिलती है, जिसमें कातिल का चेहरा साफ नजर आ रहा है। उसी सबूत के आधार पर पुलिस अर्जुन सहगल(आदित्य रॉय कपूर) को गिरफ्तार कर लेती है।
कातिल को अपनी गिरफ्त में मानकर पुलिस इस केस को क्लोज करने ही वाली थी, तभी पुलिस के साथ शराब पीकर हाथापाई करने के जुर्म में रॉनी को पकड़कर लाया जाता है। रॉनी (आदित्य रॉय कपूर) की शक्ल देखकर पुलिस सकते में आ जाती है, क्योंकि वो अर्जुन सहगल का हमशकल है। जांच-पड़ताल में पुलिस उस वक्त और ज्यादा चक्कर में पड़ जाती है, जब कत्ल के सुबूत दोनों के खिलाफ मिलते हैं। अर्जुन और रॉनी के साथ उनके ट्रैक भी चलते हैं, जहां अर्जुन का लव एंगल आगे बढ़ता है, तो वहीं रॉनी के जरायमपेशा काम और दोस्त चड्डी के साथ उसकी बॉन्डिंग। मगर जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाती है, पुलिस के लिए यह साबित करना दूभर हो जाता है कि असली कातिल अर्जुन है या रॉनी? उस सॉफ्ट वेयर इंजिनियर का खून किसने किया था और कतल करने की नौबत क्यों आई थी? इन दोनों हमशक्लों का आपस में क्या रिश्ता है? ये जवाब आपको फिल्म देखने के बाद ही मिल पाएंगे?
‘गुमराह’ का मूवी रिव्यू
निर्देशक वर्धन केतकर कहानी को दिलचस्प अंदाज में शुरू करते हैं और हमशक्लों की कहानी को पैरलल ढंग से आगे बढ़ाते हैं, मगर उन किरदारों को विस्तार देने के चक्कर में कहानी कहीं बहक जाती है। फर्स्ट हाफ में उलझन इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि दर्शक खुद को लॉस्ट महसूस करने लगते हैं। फिल्म को फॉर्मूला फिल्म की तरह ट्रीट करने की कोशिश की गई है और यह नरेटिव के लिए नुकसानदेह साबित होता है। सेकंड हाफ में कहानी टर्न और ट्विस्ट से अपनी रफ्तार पकड़ती है, मगर क्लाइमेक्स तक आप समझ चुके होते हैं कि अंत क्या होगा।
फिल्म में किरदारों के मैनरिज्म को उनकी बैकस्टोरी से जोड़ा गया है, मगर इमोशनल पक्ष के कमजोर होने के कारण चरित्र अपना कनेक्ट नहीं बना पाते। एन्ड क्रेडिट से ये बात भी उजागर होती है कि ये फिल्म सच्ची घटना से प्रेरित है, मगर कई सवालों के जवाब नहीं मिलते। फर्स्ट हाफ में एडिटिंग चुस्त की जा सकती थी, मगर एक्शन के मामले में फिल्म दमदार है। स्क्रीनप्ले कमजोर है और गीत-संगीत की बात करें, तो कई संगीतकारों की मौजूदगी के बावजूद गाने फिल्म को मजबूती नहीं दे पाते हैं। हेमंत चतुर्वेदी की सिनेमैटोग्राफी में फिल्माए गए रात के सीन देखने लायक बन पड़े हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक औसत है।
‘गुमराह’ में आदित्य रॉय कपूर को अपने करियर का सबसे ज्यादा स्क्रीन स्पेस मिला है। जाहिर-सी बात है कि वे डबल रोल में हैं। उन्होंने अपने एक रोल को दूसरे से अलग करने की पूरी कोशिश की है, वे पर्दे पर काफी हैंडसम लगे हैं और एक्शन दृश्यों में भी बीस साबित होते हैं, मगर जब बात आती है डेप्थ वाले इमोशनल दृश्यों की, तो लगता है, उन्हें और मेहनत करनी चाहिए थी। मृणाल ठाकुर ने पुलिस वाली की भूमिका के साथ न्याय किया है। खुर्राट पुलिस वाले के चरित्र में रोनित रॉय चिरपरिचित अंदाज में नजर आए हैं। अर्जुन सहगल की प्रेमिक के रूप में वेदिका पिंटो थी-ठाक रही हैं।
क्यों देखें
आदित्य रॉय कपूर के फैंस और सस्पेंस-थ्रिलर के शौकीन यह फिल्म देख सकते हैं।