नई दिल्ली। दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में हुए बम धमाके ने पूरे देश को झकझोर दिया है। सुरक्षा एजेंसियां अब ताबड़तोड़ छापेमारी कर पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में जुटी हैं। जांच के दौरान सामने आया कि इस आतंकी नेटवर्क ने दिवाली पर ही दिल्ली में ब्लास्ट की योजना तैयार की थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। इसके बाद 26 जनवरी को दिल्ली में बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना पर काम किया जा रहा था। लेकिन इससे पहले ही पुलिस को इस आतंकी नेटवर्क की भनक लग गई और ताबड़तोड़ गिरफ्तारी से हड़बड़ाहट में दिल्ली में लाल किले के पास कार ब्लास्ट को अंजाम दिया गया, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा।
फिल्मी स्टाइल में बेनकाब हुआ आतंकी नेटवर्क
इस घटना के पीछे छिपे आतंकी नेटवर्क का भंडाफोड़ जिस तरह हुआ, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। इसकी कहानी श्रीनगर की एक दीवार पर चिपके पोस्टर से शुरू होती है, जिसने आतंक के एक बड़े गिरोह को बेनकाब कर दिया। जो डॉक्टरों और धार्मिक प्रचारकों के वेश में देश के कई राज्यों में फैला हुआ था। यानी एक पोस्टर की जांच से मामले के तार खुलते गए और ताबड़तोड़ गिरफ्तारी शुरू होते ही एक बड़ा आतंकी नेटवर्क सामने आ गया। बहरहाल, अब इस मामले में खुफिया टीमों समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियां अपने-अपने लेवल पर जांच कर रही हैं। इस नेटवर्क का सबसे बड़ा गढ़ एनसीआर माना जा रहा है।
चेतावनी भरे पोस्टर से कैसे शुरू हुई जांच?
दरअसल, 18 अक्टूबर की रात श्रीनगर के नौगाम इलाके में कुछ दीवारों पर उर्दू में लिखे पोस्टर चिपके मिले। इन पोस्टरों में सुरक्षा बलों और ‘बाहरी लोगों’ के खिलाफ जल्द बड़े हमलों की चेतावनी दी गई थी। पोस्टर पर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का नाम था, जो पहले से भारत में प्रतिबंधित है। पुलिस ने जब इन पोस्टरों की जांच शुरू की तो CCTV फुटेज के आधार पर तीन युवकों को हिरासत में लिया। पूछताछ के दौरान इस मामले में चनापोरा मस्जिद के इमाम मौलवी इरफान की संलिप्तता मिली तो पुलिस टीम चौंक गई।
मौलवी से आतंक का मास्टरमाइंड बना इरफान
मूलरूप से शोपियां का रहने वाला इरफान पहले पत्थरबाजी गैंग का सरगना रह चुका था। बताया जाता है कि 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद वह चुपचाप मस्जिद में इमाम बन गया, लेकिन अंदर ही अंदर आतंकियों के संपर्क में बना रहा। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि पोस्टर लगाने का आदेश उसी ने दिया था। ताकि घाटी में डर फैलाया जा सके और पुराने नेटवर्क को फिर से सक्रिय किया जा सके। लेकिन गिरफ्तारी के बाद इरफान ने जैसे ही बोलना शुरू किया। पूरा आतंकी तंत्र खुलने लगा।
डॉक्टरों का खतरनाक नेटवर्क
इरफान ने जिन लोगों के नाम बताए, उनमें सबसे अहम था कुलगाम का डॉक्टर अदील राथर। कभी अनंतनाग मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर रहा राथर अब हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फताह मेडिकल कॉलेज में कार्यरत था। जब पुलिस ने राथर को पकड़ा तो उसने अपने साथी डॉक्टर मुजम्मिल शकील का नाम बताया। मुजम्मिल शकील श्रीनगर से शिफ्ट होकर फरीदाबाद आया था और उसी कॉलेज में काम करने लगा। 30 अक्टूबर को उसे 2900 किलो विस्फोटक और हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में मुजम्मिल शकील ने एक और डॉक्टर उमर उन नबी का नाम लिया, जो इस आतंकी मॉड्यूल का सक्रिय सदस्य था।
मुजम्मिल शकील ने यह भी बताया कि उसके दोस्त डॉक्टर शाहीन शाहिद की कार में AK-47 राइफल छिपाई गई थी। जब पुलिस ने शाहिद की कार और उनके डिजिटल डिवाइस खंगाले तो उसमें पाकिस्तान स्थित जैश हैंडलर से टेलीग्राम चैट मिलीं। इन चैट्स से साबित हुआ कि यह नेटवर्क सीमा पार से निर्देश प्राप्त कर रहा था और दिल्ली में धमाकों की योजना इन्हीं आदेशों पर बनाई जा रही थी।
विस्फोटकों का जखीरा और छापेमारी
इन गिरफ्तारियों के बाद जांच दल फरीदाबाद के हाफिज इश्तियाक तक पहुंचा, जो क्लेरिक के रूप में अल फताह कॉलेज से जुड़ा था। इश्तियाक किराए के मकान में रहकर अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर और केमिकल्स का जखीरा इकट्ठा कर रहा था। छापेमारी में पुलिस ने उसके पास से 2,563 किलो विस्फोटक बरामद किया, जबकि मुजम्मिल शकील के घर से 358 किलो सामग्री मिली। इतना विस्फोटक पूरे शहर को तबाह करने के लिए काफी था।
लाल किला धमाका और नेटवर्क का अंत
इश्तियाक और मुजम्मिल शकील की गिरफ्तारी के बाद उमर उन नबी को एहसास हुआ कि उसका नेटवर्क उजागर हो चुका है। वह कार लेकर फरार हो गया, जिसमें कुछ विस्फोटक भी थे। 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास वही कार धमाके के साथ फट गई। जांच टीम ने विस्फोट के बाद घटनास्थल से जुटाए सबूतों को जब कश्मीर, कुलगाम और फरीदाबाद की गिरफ्तारियों से जोड़ा तो पूरी साजिश सामने आ गई।
डॉक्टरों और मौलवियों के वेश ने बढ़ाई चिंता
यह आतंकी मॉड्यूल कोई साधारण नेटवर्क नहीं है। यह शिक्षित, प्रशिक्षित और योजनाबद्ध समूह है जो जैश-ए-मोहम्मद के इशारे पर देशभर में हमले की तैयारी कर रहा था। श्रीनगर की एक दीवार पर चिपका एक पोस्टर जो शुरू में महज चेतावनी लग रहा था, वही पूरे आतंक के जाल की कुंजी बन गया। पोस्टर से शुरू हुई जांच ने दिल्ली धमाके के पीछे की सबसे भयावह साजिश को बेनकाब तो कर दिया, लेकिन मौलवी और डॉक्टरों के वेश में छिपे आतंकियों ने लोगों को दहशत और चिंता में जरूर डाल दिया।