By Vinay Shukla
5 November 2025 01:52 PM
universetv.in
कई लोग हर दिन मेकअप रूटीन में आईलाइनर शामिल कर लेते हैं, लेकिन यह सिर्फ स्टाइल नहीं — इसके लगातार उपयोग से आंखों व आसपास की त्वचा पर असर हो सकता है।
रोज़ाना आईलाइनर इस्तेमाल करना और पुराना मेकअप पूरी तरह से हटाना न करना, लश-लाइन (lash line) या पानी की लाइन (waterline) में पिगमेंट जमा होने का कारण बन सकता है। यह जमा धीरे-धीरे फॉलिकल्स या ग्रंथियों को प्रभावित कर सकता है।
आईलाइनर की पार्टिकल्स या उसे हटाते समय खिंचाव के कारण आँखों में जलन, खुजली, लालापन या पानी आना जैसी समस्या हो सकती है।
यदि आईलाइनर पानी की लाइन या आंखों के बहुत करीब लगाई जाए तो यह मैइबोमियन ग्रंथियों (oil glands) को ब्लॉक कर सकती है, जिससे आंखों की लुब्रिकेशन प्रभावित होती है और ड्राई-आई की समस्या हो सकती है।
मेकअप उत्पाद पुराने हों, शेयर किए जाएँ या आईलाइनर ऐप्प्लिकेटर गंदा हो तो बैक्टीरिया व फंगस का खतरा बढ़ जाता है — यह कन्जंक्टिवाइटिस, स्टाई (eye stye) या अन्य संक्रमण का कारण बन सकता है।
एक अध्ययन में पाया गया कि पेंसिल आईलाइनर के पार्टिकल्स आँख की आँखों की सुरक्षात्मक झिल्ली (tear film) में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे दृष्टि में धुंधलापन, अस्थिरता या अन्य प्रॉब्लम आ सकती है।
– हर दिन इस्तेमाल करने वाले आईलाइनर को ३-४ महीने के बाद बदलें। – पानी की लाइन के अंदर आईलाइनर लगाने से बचें — बाहर लश-लाइन पर ही लगाना बेहतर है। – मेकअप हटाते वक्त सम्पूर्ण रूप से क्लीन करें — इससे जमा पार्टिकल्स हटते हैं। – आईलाइनर चुनते समय हाइपोएलर्जेनिक (hypoallergenic) और आँखों के लिए टेस्ट किया गया उत्पाद लें।