
हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का पर्व काफी अहम माना जाता है। यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है। इस बार विवाह पंचमी 25 नवंबर को मनाई जाएगी।
विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर भगवान राम और मां जानकी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इससे जातकों की सारी मनोकामनाएं धीरे धीरे पूरी होने लगती है। बिगड़े काम भी बनने लगते हैं।
आज हम आपको एक ऐसे स्त्रोत के बारे में बताएंगे, जिसका पाठ अगर आप विवाह पंचमी पर करते हैं, तो इससे आपका जीवन संवर सकता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
हम आपको रामरक्षास्तोत्रम् के बारे में बता रहे हैं, जो जातक विवाह पंचमी पर इस स्त्रोत का पाठ करते हैं, तो इससे उनका जीवन संवरने के साथ-साथ उनकी किस्मत भी खुल सकती है।
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं। पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्॥ वामाङ्कारूढ-सीता-मुखकमल-मिलल्लोचनं नीरदाभं। नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचन्द्रम्॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्। एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्। जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम्॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्। स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्॥ रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्। शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज:॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती। घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल:॥ जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवन्दित:। स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक:॥
इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। अध्यात्म से जुड़ी तमाम बड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें universetv.in