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बंगाल में ‘बिहारी बाबू’ को रोकेंगे विधायक शुभेंदु अधिकारी, बीजेपी ने बनाया खास प्लान

कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में एक लोकसभा सीट और एक विधानसभा क्षेत्र में आगामी उपचुनाव के लिए कमर कस ली है। पार्टी ने आसनसोल लोकसभा उपचुनाव के नंदीग्राम से पार्टी के विधायक शुभेंदु अधिकारी को पर्यवेक्षक. . .

कोलकाता। भारतीय जनता पार्टी बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में एक लोकसभा सीट और एक विधानसभा क्षेत्र में आगामी उपचुनाव के लिए कमर कस ली है। पार्टी ने आसनसोल लोकसभा उपचुनाव के नंदीग्राम से पार्टी के विधायक शुभेंदु अधिकारी को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। बता दें कि टीएमसी ने आसनसोल से बिहारी बाबू और बॉलीवुड के फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारने का ऐलान किया है। बीजेपी ने नंदीग्राम में सीएम ममता बनर्जी को हराने वाले शुभेंदु अधिकारी को बिहारी बाबू को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा, पार्टी सांसद अर्जुन सिंह को निर्वाचन क्षेत्र के लिए सह-पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, बीजेपी ने बालीगंज विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव के लिए सांसद जगन्नाथ सरकार को सौंपा है।
बता दें कि बालीगंज से पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो टीएमसी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में उपचुनाव 12 अप्रैल को होंगे जबकि परिणाम 16 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे।
बीजेपी ने शुभेंदु अधिकारी को बनाया आसनसोल के लिए पर्यवेक्षक
बीजेपी ने शुभेंदु अधिकारी को आसनसोल की जिम्मेदारी दी है। उनके साथ भाटपाड़ा के सांसद अर्जुन सिंह, पुरुलिया के सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो और विद्यासागर चक्रवर्ती मौजूद रहेंगे। वहीं बालीगंज विधानसभा उपचुनाव की जिम्मेदारी सांसद जगन्नाथ सरकार को सौंपी गई है। संजय सिंह, सोमनाथ बंद्योपाध्याय, अशोक डिंडा उनके साथ रहेंगे। आसनसोल सीट पिछले अक्टूबर में बाबुल सुप्रियो के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। बालीगंज विधानसभा सीट टीएमसी विधायक सुब्रत मुखर्जी के निधन के बाद खाली हुई थी।
बीजेपी और कांग्रेस के बाद अब टीएमसी के हुए बिहारी बाबू
बता दें कि आसनसोल लोकसभा उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस से टिकट मिलने की घोषणा के बाद बिहारी बाबू यानी शत्रुघ्न सिन्हा एक बार फिर चर्चा में हैं। लगभग तीन दशकों तक भारतीय जनता पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने वर्ष 2019 में बीजेपी छोड़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दामन थाम लिया था। हालांकि, कांग्रेस में उनका सफर मात्र दो वर्षों का रहा। जुलाई 2021 में वे कांग्रेस छोड़ ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के हो गये और अब लोकसभा के रास्ते राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खामोशी तोड़ने की कोशिश में जुटे हैं।