उत्तर दिनाजपुर। इस्लामपुर गोली कांड में नया मोड़ आया है। गोलीबारी में अपने छोटे भाई की मृत्यु के कारण बड़ा भाई इतना भयभीत हो गया की उसने 11 दिन तक गोली से घायल हालत में बिना इलाज के घर में पड़ा रहा। लेकिन गोलियों से छलनी शरीर का दर्द असहनीय होते ही चोपड़ा के दिघबाना गांव निवासी मोहम्मद मजीर आखिरकार इलाज के लिए इस्लामपुर अस्पताल पहुंचा। घटना से इस्लामपुर अस्पताल के डॉक्टर हैरान रह गए। इससे अब पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 30 मार्च को चोपड़ा थाने के चुटियाखोर ग्राम पंचायत के दिघबाना गांव में तृणमूल कांग्रेस की बूथ समिति की बैठक में गोली चलने की घटना में दो तृणमूल कार्यकर्ता मारे गए थे। उन्होंने दावा किया कि मृतक हासु मोहम्मद के बड़े भाई मोहम्मद मजीर को भी उसी दिन गोली मारी गई थी। मजीर के दोनों पैरों में गोली लगी थी। उस दिन से मजीर ने जान से मारे जाने के डर से छिपा रहा। लेकिन असहनीय दर्द से नहीं रह सका। असहनीय दर्द के कारण उसे मंगलवार की दोपहर इस्लामपुर महकमा अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस दिन मोहम्मद मजीर कैमरे के सामने बेबस होकर रो पड़ा। वहीं इस्लामपुर महकमा अस्पताल के डॉक्टर उसे देखकर हैरान रह गए।
हालांकि ग्रामीण सूत्रों से यह बताया गया है कि गोलीबारी में मृत फैजुर रहमान के परिवार द्वारा शिकायत की गई थी कि हमले का नेतृत्व तृणमूल के मोहम्मद मजीर ने किया था। स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि राज्य की राजनीति से लेकर राज्य प्रशासन में सनसनी फैलाने वाली इस घटना में पुलिस को आरोपी व्यक्ति क्यों नहीं मिला? साथ ही जिस दिन शोर शराबा हुआ उस दिन एक व्यक्ति गोलियों से छलनी अवस्था में था, पुलिस ने उसे क्यों नहीं बचाया और इलाज कराया।
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