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कब मनाएं जन्माष्टमी, 18 या 19 अगस्त? क्या कहता है पंचांग, मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में 19 अगस्त को मनेगा कृष्ण जन्मोत्सव

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रक्षाबंधन के बाद अब जन्माष्टमी की तिथि को लेकर भ्रम और संशय बना हुआ है। इस बार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव दो दिन मनाने की बात हो रही है। कुछ पंचांग की गणना के मुताबिक जन्माष्टमी 18 अगस्त को है तो कुछ पंचांग के अनुसार 19 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाने की बात कही जा रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ऐसे में सभी भक्त जब भाद्रपद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का योग बनता है तभी जन्माष्टमी का पर्व जोश और उमंग के साथ मनाते हैं। ऐसे में इस बार जन्माष्टमी तिथि और नक्षत्र को लेकर भ्रम की स्थिति बनी होने से कुछ लोग 18 तो कुछ 19 अगस्त को जन्माष्टमी मना रहे हैं। रक्षाबंधन की तरह जन्माष्टमी का त्योहार किस दिन मनाएं आइए जानते हैं वैदिक पंचांग की गणना क्या कहती है।
कब है जन्माष्टमी 18 या 19 अगस्त ?
पंचांग गणना और ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार इस बार जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि 18 अगस्त को रात 9 बजकर 21 मिनट के बाद अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी, जो 19 अगस्त को रात के 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। वहीं रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 19 अगस्त को रात्रि 01 बजकर 54 मिनट से होगा। ऐसे में इस वर्ष जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन पा रहा है। ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि गृहस्थों के लिए जन्माष्टमी का त्योहार व व्रत रखना उस दिन ही शुभ रहेगा जिस रात को अष्टमी तिथि लग रही है। 18 अगस्त की मध्यरात्रि को व्यापनी अष्टमी तिथि होगी। वहीं दूसरी तरफ साधु-संतों के लिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखना उचित होगा।
श्रीकृष्ण तीर्थों में 19 को मनेगी जन्माष्टमी
श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के सेवा अधिकारी पं. अंकित गोस्वामी ने भी श्रीकृष्ण जन्म पर्व के लिए 19 तारीख बताई है। वहीं, गुजरात में द्वारिका के कृष्ण मंदिर के पुजारी पं. प्रणव ठाकर का कहना है कि इस बार श्रीकृष्ण की जन्मतिथि शुक्रवार को पड़ने से इसी दिन जन्मोत्सव पर्व मनाना शुभ रहेगा, लेकिन जगन्नाथ पुरी में मंदिर के पंचांग के हिसाब से 18 तारीख की रात में अष्टमी तिथि मिलने से गुरुवार को कृष्ण जन्म मनेगा।
जन्माष्टमी पर क्या करें
इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। इसके लिए पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें और काले तिल मिलाकर नहा सकते हैं। फिर कृष्ण मंदिर जाकर भगवान को पंचामृत और शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद पीले कपड़े, फिर पीले फूल, इत्र और तुलसी पत्र चढ़ाएं। फिर मोर पंख चढाएं। आखिरी में माखन-मिश्री और मिठाइयों का नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटे। इस तरह की पूजा घर पर भी की जा सकती है। इस दिन घर पर बाल गोपाल को झूले में झुलाने की भी परंपरा है।


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