नई दिल्ली । भूटान ने अपनी पर्यटन नीति में बहुत बड़ा बदलाव किया है, जिसका असर कम खर्चे में इस पड़ोसी मुल्क की यात्रा करने की सोचने वाले आम भारतीयों पर पड़ना निश्चित है। भूटान ने भारतीयों पर मोटी एंट्री फीस लगा दी है। अभी तक भारतीयों को भूटान की यात्रा करने के लिए कुछ भी नहीं सोचना पड़ता था। लेकिन,अब भूटान जाना भी सबके वश की बात नहीं रह गई है और अमीर लोगों के लिए ही यहां जाना मुमकिन रह गया है। भारतीयों के अलावा दूसरे देशों के नागरिकों से वसूली जाने वाली फीस में भी भूटान ने कई गुना बढ़ोतरी कर दी है।
‘ज्यादा आमदनी, कम संख्या’ पर फोकस
टूरिज्म काउंसिल ऑफ भूटान ने 29 जून को जारी अपने सर्कुलर में पर्यटन नीति में बड़े बदलाव के संकेत दिए थे। इसमें कहा गया कि 23 सितंबर, 2022 से हिमालय की गोद में बैठा यह राष्ट्र पर्यटकों के लिए अपनी सीमाएं फिर से खोल रहा है। लेकिन, अब वह पर्यटन क्षेत्र को स्थायित्व देने पर फोकस करेगा। इसके नाम पर इसने सस्टेनेबल डेवलपमेंट फी (एसडीएफ) में कई गुना इजाफा कर दिया है। भूटान टूरिज्म काउंसिल के इस सर्कुलर को देखने से स्पष्ट पता चल रहा है कि अब वह, पर्यटन के क्षेत्र में ‘ज्यादा कीमत, कम संख्या’ पर फोकस करना चाहता है।
भारतीयों को रोजाना के 12 सौ रुपये देने होंगे
न्यू इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब भूटान की सैर की चाहत रखने वाले प्रत्येक भारतीय को प्रति दिन, प्रति पर्यटक के हिसाब से 15 अमेरिकी डॉलर (करीब 1,200 रुपये) सस्टेनेबल डेवलपमेंट फीस (एसडीएफ) के तौर पर देने होंगे। इसके अलावा वहां जाने, घूमने और होटलों का खर्च अलग से लगेगा। भूटान जैसे पड़ोसी मुल्क की यात्रा के लिए इतनी फीस देना एक आम भारतीय की जेब के लिए बहुत ही ज्यादा लग रहा है। खास बात ये है कि सीमा बंद होने से पहले 2020 में भी भूटान में जो 29,812 पर्यटक पहुंचे थे, उनमें अकेले भारतीयों की संख्या 22,298 थी।
विदेश सैलानियों को रोजाना 200 डॉलर देने होंगे
हालांकि, दूसरे देशों के सैलानियों के लिए एसडीएफ और भी ज्यादा कर दिया गया है। जारी सर्कुलर के मुताबिक अब दूसरे देशों के पर्यटकों को भूटान घूमने के लिए प्रति व्यक्ति प्रति रात्रि 65 अमेरिकी डॉलर की जगह 200 अमेरिकी डॉलर खर्च करने होंगे। इसमें दावा किया गया है कि ये जो एसडीएफ वसूली जाएगी, उसका इस्तेमाल कार्बन न्यूट्रल टूरिज्म और टूरिज्म सेक्टर को ज्यादा सस्टेनेबल बनाने के लिए खर्च किया जाएगा। हालांकि, तब इस सर्कुलर में भारतीय पर्यटकों के लिए कहा गया था कि वे पहले से निर्धारित फीस का ही भुगतान करेंगे, जिसे बाद में संशोधित किया जाएगा, जो कि अब कर दिया गया है।
जलवायु परिवर्तन के खतरे के नाम पर शुल्क में बढ़ोतरी
भूटान के मुताबिक उसने यह कदम जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे को देखते हुए उठाया है। उसका कहना है कि वह अपने देश को कार्बन-निगेटिव और पर्यटकों के लिए ग्रीन डेस्टिनेशन बनाए रखना चाहता है। उसका कहना है कि हिमालय की गोद में बसा यह छोटा सा देश जलवायु परिवर्तन के असर से बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहा है, जैसे कि बार-बार की बारिश और बाढ़ जैसी प्राकृतिक घटनाएं। इसी के नाम पर उसने विदेश पर्यटकों के लिए एंट्री फीस में इतना ज्यादा इजाफा किया है।
आम भारतीय पर्यटकों को दूर रखना चाहता है भूटान ?
कोरोना महामारी के बाद दुनियाभर के टूरिस्ट हॉट स्पॉट ने इस तरह की टैक्स उगाही पर विचार करने शुरू किए हैं, लेकिन जानकारी के मुताबिक भूटान ने जो फीस लगाई है, वह सबसे ज्यादा है। उदाहरण के लिए वेनिस भी 3 से 10 डॉलर डेली सरचार्ज लगाने पर विचार कर रहा है, लेकिन वह भी अगले साल से। भारत का टूरिज्म सेक्टर भूटान के इस नजरिए को संदेह भरी नजरों से देख रहा है। उसका कहना है कि ‘भूटान एक तरह से नम्रता के साथ भारतीय को नहीं कह रहा है।’
2020 से भूटान में नहीं है पर्यटकों की एंट्री
गौरतलब है कि भूटान हमारा ऐसा पड़ोसी मुल्क है, जहां जाने के लिए भारतीयों को पासपोर्ट की भी आवश्यकता नहीं है और सिर्फ कोई भी पहचान पत्र दिखाना ही काफी है। पहले तो भूटान में भारतीयों से कोई फीस नहीं ली जाती थी। जून, 2020 में कोरोना काल के दौरान उसने भारतीय पर्यटकों पर दूसरे देशों के नागरिकों से लिए जाने वाले 65 डॉलर का 12% सरचार्ज लगाया था। लेकिन, तब उसने महामारी की वजह से अपनी सीमाएं बंद ही कर दी थी। एक एक्सपर्ट ने कहा है, ‘भारत का भूटान के साथ मजबूत राजनयिक, राजनीतिक और व्यापारिक संबंध है, इसलिए यह लेवी हमारे लिए अच्छा नहीं है। इसका काउंटर करने के लिए भारत को भी भूटानी नागरिकों पर इसी तरह की फीस लगाना सही रहेगा।