तेहरान। 30 नवंबर 2022 को ईरान की रेगिस्तानी जमीन कांपी। 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। झटका इतना तगड़ा था कि संयुक्त अरब अमीरात तक महसूस हुआ। कोई हताहत नहीं हुआ लेकिन क्या भूकंप की लहरें ‘रिंग ऑफ फायर’ से रेगिस्तान तक पहुंच रही हैं या फिर ईरान की सूखी धरती के नीचे कोई बड़ी हलचल हो रही है।
ईरान के होरमोजगान प्रांत के गावमिरी से 10 किलोमीटर दूर 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। झटका इतना ताकतवर था कि बहरीन, सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात के कई हिस्से हिल गए। इस बात की पुष्टि यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) ने भी की। इस भूकंप की वजह से इन रेतीले देशों में किसी के मारे जाने या किसी अन्य नुकसान की खबर नहीं आई। लेकिन ईरान का इलाका क्यों कांप रहा है? क्या धरती के टुकड़े हो रहे हैं?
असल में ईरान भूकंपों वाली जमीन पर बसा है। यहां बेहद ज्यादा तीव्रता के भूकंपों का इतिहास रहा है। अप्रैल 2013 में आए 7.7 तीव्रता के जलजले ने पूरे रेगिस्तानी देश को हिला दिया था। असल में तेल के कुओं के लिए प्रसिद्ध यह देश भूकंप के हाई रिस्क जोन पर टिका है. 2013 में आया भूकंप इतना तगड़ा था कि करीब 2300 किलोमीटर दूर स्थित नई दिल्ली की जमीन तक हिल गई थी। ईरान में इस आपदा में तो 35 लोग मारे गए थे। लेकिन पाकिस्तान की हालत खराब हो गई थी, क्योंकि भूकंप का केंद्र ईरान-पाकिस्तान की सीमा पर था।
ईरान दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जो भूकंपों से सबसे ज्यादा प्रभावित रहते हैं। इस देश के नीचे इतने ज्यादा सीस्मिक फाल्ट्स हैं, जो पूरे देश का 90 फीसदी इलाका घेर लेते हैं। साल 2013 में आए भूकंप से 40 साल पहले इतना खतरनाक भूकंप आया था। ईरान की जमीन के नीचे कई टेक्टोनिक प्लेटों का जमावड़ा है। साल 1900 से लेकर अब तक ईरान में इतने भूकंप आए हैं कि उनसे करीब सवा लाख लोग मारे गए हैं।
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