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चुनावी चंदा : टाटा ग्रुप के ट्रस्ट ने बीजेपी को दिए 757 करोड़, कांग्रेस को मिला 77 करोड़, जानें बाकी दलों को क्या मिला?

नई दिल्ली: टाटा समूह के नियंत्रण वाले प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (PET) के जरिए 2024-25 में 915 करोड़ रुपये के राजनीतिक चंदे में से लगभग 83% रकम बीजेपी को मिली, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 8.4% हिस्सा मिला। चुनाव आयोग की वेबसाइट. . .

नई दिल्ली: टाटा समूह के नियंत्रण वाले प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (PET) के जरिए 2024-25 में 915 करोड़ रुपये के राजनीतिक चंदे में से लगभग 83% रकम बीजेपी को मिली, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 8.4% हिस्सा मिला। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध इलेक्टोरल ट्रस्टों की ताजा रिपोर्ट बताती है कि फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म किए जाने के बाद भी बीजेपी की फंडिंग पर बड़ा असर नहीं पड़ा है। पार्टी को प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से 757.6 करोड़ रुपये, न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से 150 करोड़ रुपये, हार्मनी ट्रस्ट से 30.1 करोड़, ट्रॉयम्फ ट्रस्ट से 21 करोड़, जन कल्याण ट्रस्ट से 9.5 लाख और आइंजिगार्टिग ट्रस्ट से 7.75 लाख रुपये मिले।

बीजेपी को सबसे ज्यादा फंड


2018-19 में भी प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने लोकसभा चुनाव वर्ष के दौरान बीजेपी को सबसे ज्यादा फंड दिए थे। उस समय उसने कुल 454 करोड़ रुपये तीन पार्टियों को दिए थे, जिनमें से 356 करोड़ बीजेपी के हिस्से में गए थे। 2024-25 के लिए प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट की रिपोर्ट अभी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है, इसलिए उसके जरिए बीजेपी को मिले चंदे का आंकलन नहीं किया जा सकता। पिछले वर्षों में बीजेपी को ट्रस्टों से 800 करोड़ से ज्यादा और बॉन्ड से 1,600 करोड़ से ज्यादा रकम मिली थी।

कांग्रेस को 77.3 करोड़ रुपये मिले


कांग्रेस को 2024-25 में प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से 77.3 करोड़ रुपये मिले, जबकि न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट से 5 करोड़ और जन कल्याण ट्रस्ट से 9.5 लाख रुपये मिले। इसके अलावा प्रूडेंट ने कांग्रेस को 216.33 करोड़ और AB जनरल ट्रस्ट ने 15 करोड़ रुपये दिए। इस तरह कांग्रेस को इस साल कुल चंदे का बड़ा हिस्सा ट्रस्टों के जरिए मिला, हालांकि यह रकम 2023-24 में बॉन्ड से मिले 828 करोड़ रुपये की तुलना में काफी कम रही।

क्षेत्रीय दलों को मिले चंद में गिरावट

प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने इस साल तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना, बीजद, भारत राष्ट्र समिति, जेडीयू, डीएमके और एलजेपी-रामविलास को भी 10-10 करोड़ रुपये दिए। कई पार्टियों की फंडिंग पिछले साल की तुलना में काफी घटी है। टीएमसी, बीजद और बीआरएस की आय में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।

टाटा समूह की किन कंपनियों ने किया दान

टाटा समूह की कई कंपनियों ने प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट को बड़ी रकम दान की। इनमें टाटा संस, टीसीएस, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा कम्युनिकेशंस, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, टाटा एलक्सी और टाटा ऑटो-कॉम्प शामिल हैं। महिंद्रा समूह समर्थित न्यू डेमोक्रेटिक ट्रस्ट ने भी अपनी कुल राशि का लगभग पूरा हिस्सा बीजेपी को दिया। अन्य ट्रस्टों ट्रॉयम्फ, हार्मनी और जन प्रगति ने भी बीजेपी और कुछ क्षेत्रीय दलों को चंदे बांटे। यह पूरा आंकड़ा बताता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म होने के बाद भी कॉरपोरेट चंदा का बड़ा हिस्सा अब भी बीजेपी की ओर ही झुकाव दिखा रहा है।

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