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ज्ञानवापी में पूजा की मांग को लेकर अनशन पर बैठे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, अलर्ट मोड पर पुलिस, 10 थानों की फोर्स और 3 एसीपी तैनात

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वाराणसी। ज्ञानवापी में पूजा करने से रोके जाने पर शनिवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती श्रीविद्या मठ के गेट पर अनशन पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक ज्ञानवापी में प्रकट हुए आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग की पूजा नहीं करेंगे, तब तक अन्न-जल भी नहीं लेंगे।
उनका कहना है, ‘ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग हमारे आदि विश्वेश्वर का पुराना ज्योतिर्लिंग है। देवता की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि उसमें प्राण होते हैं। भगवान को भूखा-प्यासा नहीं रखा जा सकता है। उनका स्नान, शृंगार, पूजा, भोग-राग नियमित होना चाहिए।’
उन्होंने आगे कहा- ‘हमारी छोटी सी मांग है कि हमें हमारे आराध्य की दिन में एक बार पूजा करने दें। पुलिस के लोग हमारे सामने हमारा रास्ता रोक कर खड़े हो गए हैं। पुलिस अपना काम करेगी, हम अपना काम करेंगे। पूजा का अधिकार प्रत्येक सनातन धर्मी का मौलिक अधिकार है।’
‘हम पाप के भागी नहीं बनेंगे’: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी ने पूजा की अनुमति नहीं दिए जाने पर प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘पुलिस हमसे पूजा की सामग्री ले जाए और हमारे आराध्य देव की विधि-विधान से पूजा कराए। भगवान की पूजा न करके हम पाप के भागी नहीं बनेंगे। यह भला कैसे हो सकता है कि हम नहाएं, खाएं और पानी पियें और हमारे भगवान ऐसे ही पड़े रहें।’
उधर श्रीविद्या मठ के सामने 10 थाने की फोर्स, 3 एसीपी  और पीएसी  के जवानों के साथ डीसीआई काशी जोन आरएस गौतम ने घेराबंदी कर रखी है। एक तरह से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की हाउस अरेस्ट जैसी स्थिति है।
वहीं विश्व हिंदू सेना के प्रमुख अरुण पाठक का कहना है कि यदि हमारे धर्माचार्यों के साथ वाराणसी पुलिस ने कानून व्यवस्था की दुहाई देकर बदतमीजी करने का प्रयास किया तो काशी के हर मंदिर और पुलिस अधिकारियों के ऑफिस में घुस कर रक्ताभिषेक करेंगे।
प्रशासन ने ज्ञानवापी में पूजा की नहीं दी अनुमति
ज्योतिष और द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शनिवार को पूजा-पाठ करने का ऐलान किया था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का दावा है कि ज्ञानवापी में भगवान आदि विश्वेश्वर प्रकट हुए हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के ऐलान के बाद वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस ने सख्त रुख अख्तियार किया है।
पुलिस ने कहा है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को बता दिया गया है कि उन्हें ज्ञानवापी परिसर में पूजा-अर्चना करने की अनुमति नहीं दी गई है। फिर भी अगर वह ज्ञानवापी जाएंगे तो उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही 6 थानों की पुलिस ने उनके श्रीविद्या मठ के इर्दगिर्द तगड़ी घेराबंदी कर रखी है। मठ की ओर आने-जाने वाले रास्ते पर बैरिकेडिंग की गई है।
पूजापाठ की नहीं है अनुमति, सील है
डीसीपी काशी जोन आरएस गौतम ने बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी परिसर स्थित जिस स्थान पर जाकर पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी थी, वह कोर्ट के आदेश से बीती 16 मई से सील है। उस स्थान की निगरानी के लिए CRPF के जवान लगे हुए हैं। उस स्थान से संबंधित मुकदमा अदालत में पेंडिंग चल रहा है। इसलिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को ज्ञानवापी परिसर में पूजा-अर्चना करने की अनुमति नहीं दी गई है।
इस संबंध में उनके पास पुलिस अफसरों को भेज कर उन्हें सूचना भी दी जा चुकी है। इसके बावजूद यदि किसी ने भी कमिश्नरेट क्षेत्र के लॉ एंड ऑर्डर को प्रभावित करने की कोशिश की तो उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई में देरी नहीं की जाएगी।
7 साल पहले पुलिस के लाठीचार्ज में घायल हुए थे अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अनशन को लेकर पहले भी सुर्खियों में रहे हैं। 2015 में वाराणसी में गणेश प्रतिमा विसर्जन रोके जाने के विरोध में गोदौलिया चौराहे पर धरना दे रहे मराठा गणेशोत्सव सेवा समिति के कार्यकर्ताओं के समर्थन में आमजन भी सड़क पर उतर आए थे। उस दौरान साधु-संतों के धरने पर बैठने से माहौल गरम हो गया था। गंगा में प्रतिमा विसर्जन की अनुमति के लिए अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और महंत बालक दास ने अन्न-जल का त्याग कर दिया था। 22 सितंबर 2015 की देर रात पुलिस ने लाठीचार्ज कर लोगों की बुरी तरह पिटाई की थी। लाठीचार्ज से भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और महंत बालक दास समेत 40 से अधिक संत घायल हुए थे। इसके लिए 12 अप्रैल 2021 को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बनारस आकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से माफी मांगी थी।


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