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टीएमसी के 150 से अधिक बागी उम्मीदवारों पर गिरी गाज, सीएम ममता ने किया पार्टी से निलंबित

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में 27 फरवरी को होने वाले निकाय चुनावों बंगाल निकाय चुनाव में बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले 150 से अधिक कार्यकर्ताओं को तृणमूल कांग्रेस ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पश्चिम बंगाल के 108 नगर निकायों में 27 फरवरी को मतदान होना है। रविवार को टीएमसी ने अपने ऐसे 61 कार्यकर्ताओं को निष्कासित कर दिया जो 27 फरवरी के निकाय चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए थे। ये सभी कार्यकर्ता नॉर्थ 24 परगना जिले के हैं। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की चेतावनी के बाद लगभग छह टीएमसी विद्रोहियों ने पहले निर्दलीय के रूप में दाखिल अपने नामांकन वापस ले लिए थे।
उत्तर 24 परगना टीएमसी अध्यक्ष ज्योतिप्रिय ने कहा कि हमारे नेतृत्व ने इन नेताओं को एक साफ संदेश भेजा है, कि निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल करने पर नामांकन वापस लेना है। कुछ ने ऐसा किया था, लेकिन अधिकांश ने नहीं किया। हमने आज इन कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकालने का फैसला किया है।
पिछले कुछ दिनों से पार्टी ने 150 से अधिक बागियों को निष्कासित कर दिया है, जिन्होंने राज्य भर में टीएमसी उम्मीदवारों के खिलाफ लड़ने का फैसला किया था। इससे पहले शनिवार तक पार्टी 11 जिलों के 84 कार्यकर्ताओं को पार्टी से निष्कासित कर चुकी थी। बता दें कि, 17 फरवरी को तृणमूल कांग्रेस ने अपने बागी नेताओं को 48 घंटे के भीतर उम्मीदवारी वापस न लेने पर निष्कासन का सामना करने की चेतावनी दी थी। हालांकि, उम्मीदवारों ने दावा किया है कि प्रत्याशियों की आधिकारिक सूची में जगह बनाने में नाकाम रहने के बाद लोग उनसे निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल करने के लिए कह रहे थे और जनता की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इंग्लिश बाजार, ओल्ड माल्दा, बेलुरघाट, कूचबिहार, बर्दवान, बारासात, सोनारपुर-राजपुर, बोंगांव और खरदा नगर पालिकाओं में तृणमूल के कुछ बागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
बीते साल दिसंबर में पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने 144 सदस्यीय कोलकाता नगर निगम की 132 सीटों पर जीत दर्ज कर लगातार तीसरी बार उस पर कब्जा जमाया था। पार्टी ने बिधाननगर, सिलीगुड़ी, चंद्रनगर और आसनसोल नगर पालिकाओं के चुनावों में ‘क्लीन स्वीप’ भी किया था. इसके पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी और ममता बनर्जी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही थी।


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