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डुआर्स के चाय बागानों में शुरू हुआ पत्तियों को तोड़ने का काम, कम उत्पादन होने से बागान मालिक चिंतित

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जलपाईगुड़ी। पिछले पांच महीनों से बारिश की कमी के कारण चायपत्ती का उत्पादन कुछ कम हुआ है। उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों में वसंत ऋतु की शुरुआत से ही पत्तियों को तोड़ने का काम शुरू हो गया है। नए सीजन में पत्तों के कम उत्पादन से जलपाईगुड़ी के विभिन्न उद्यान अधिकारी नाखुश हैं।
इस बीच वसंत के स्पर्श के साथ, उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों में हरी चाय की पत्तियां उग आई हैं। बगीचों में पत्तों की पहली चमक शुरू हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि सर्दी की शुरुआत से ही हर साल करीब तीन महीने चाय की पत्ती तोड़ने का काम बंद रहता है। इसके बाद से मुख्य रूप से कर्मचारी उद्यान के रखरखाव का काम करते नजर आ रहे हैं। चाय बागानों में फर्स्ट फ्लश यानि प्रथम चरण की पत्तियां हमेशा बेहतरीन क्वालिटी की होती हैं। इसीलिए इन पत्तों की कीमत पूरे साल के मुकाबले काफी ज्यादा होती है। सर्दी की शुरुआत से ही उत्तर बंगाल के सभी चाय बागान लंबे समय से बंद थे। इसलिए यह समय कच्ची चाय की पत्तियों के तोड़ने का है। इसलिए अलग-अलग चाय बागान के अधिकारी पहली और दूसरी फ्लैश के पत्तों पर नजर रखते हैं।
हालांकि, सर्दी के अंत में बारिश की कमी के कारण इस बार पत्तियों का उत्पादन थोड़ा कम हुआ है। हालांकि अब इस बार चाय के दाम क्या रहेंगे, इस पर बागान प्रशासन की नजर है। जलपाईगुड़ी के डेंगुआझार चाय बागान के उप प्रबंधक जीबन चंद्र पांडेय ने कहा कि इस साल चाय बागान की पहली फ्लैश पत्तियाँ बहुत अच्छी थीं, लेकिन उत्पादन थोड़ा कम था। हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि अगर कीमत ज्यादा होगी तो मुनाफा बेहतर होगा।


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