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दार्जिलिंग में नए राजनीतिक दल का होने वाला है आगाज, लगाये गये पोस्टर क्या बदलेगा पहाड़ का राजनीतिक समीकरण ?

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दार्जिलिंग। मशहूर पर्वतीय पर्यटन केंद्र पहाड़ियों की रानी दार्जिलिंग अपनी खूबसूरती और प्राकृतक सौंदर्य के लिए तो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है ही, लेकिन पिछले कुछ दशकों में दार्जीलिंग पहाड़ की राजनीति भी खूब सुर्ख़ियों में रही है। देखा जाए तो सबसे पहले दार्जीलिंग पहाड़ 1986 में गोरखा लैंड के आंदोलन के कारण सुर्ख़ियों में आया था, जब गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के द्वारा एक हिंसक आंदोलन की शुरुआत हुई थी जिसका नेतृत्व सुभाष घीसिंग के हाथ में था। इस आंदोलन के फलस्वरूप 1988 में एक अर्ध स्वायत्त इकाई का गठन हुआ जिसका नाम था दार्जीलिंग। गोरखा हिल परिषद”। कुछ वर्षों तक शांत रहने के बाद 2007 में फिर से एक नई पार्टी गोरखा जन मुक्ति मोर्चा का गठन और फिर से गोरखालैंड को लेकर आंदोलन शुरू हुआ, गोजमुमो प्रमुख विमल गुरुंग ने इस आंदोलन की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में जोरदार आंदोलन होने लगा और कई हिंसात्मक आन्दोलन भी हुये। इस बीच बंगाल में सत्ता परिवर्तन हुआ और पश्चिम बंगाल की बागडोर ममता बनर्जी ने संभाली। उन्होंने पहाड़ पर शांति लाने का प्रयास किया। इसके बाद फिर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम और गोरखा जन मुक्ति मोर्चा गोजमुमो के प्रमुख विमल गुरुंग के बीच पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के सुकना स्थित पिंटेल गांव में 18 जुलाई 2011 को हुए त्रिपक्षीय समझौते के तहत गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन अस्तित्व (जीटीए) में आया। इसके तहत दार्जिलिंग पहाड़ को कई विशेष अधिकार दिए गए है। अभी भी जीटीए प्रश्न दार्जिलिंग पहाड़ पर चल रहा है, लेकिन इस बीच गोरखालैंड के लिए आंदोलन भी जारी रहा और गोरखालैंड की मांग को लेकर कई नई राजनीतिक पार्टियों का भी उदय हुआ। पहाड़ी रास्तों की तरह यहां के राजनीतिक समीकरण टेढ़े-मेढ़े या कहें तो उलझती रही। कभी मुख्यमंत्री ममता का गुणगान करने वाले विमल गुरुंग ने उनसे दुश्मनी कर ली और उनके जगह विनय तमांग आ गया। दोनों एक समय एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे थे, लेकिन अब फिर से एक साथ नज़र आ गए है।
लेकिन गोरखालैंड की मांग को लेकर नई पार्टी का उदय होने जा रहा। बीजीएसपी नाम का एक नया राजनीतिक दल पहाड़ियों में पदार्पण करने वाला है। पार्टी की शुरुआत से पहले दार्जिलिंग में उनकी मांगों को लेकर पोस्टर भी लगाये गये हैं। आपको बता दें कि हाल के दिनों ने दो नई राजनितिक पार्टयों का उदय हो चूका है। अजय एडवर्ड की हाम्रो पार्टी और अनीत थापर की इंडियन गोरखा रिपब्लिकन फ्रंट भी उभरी है। नगरपालिका चुनावों में नई राजनीतिक पार्टी हाम्रो पार्टी ने भारी अंतर से नगरपालिका चुनाव जीता और दार्जिलिंग नगरपालिका पर कब्जा कर लिया है। अब पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग पर एक नया राजनीतिक दल अपने आगाज के रास्ते पर है। रविवार को बीजीएसपी के नेता दार्जिलिंग के चौराहे पर अपनी मांगों को लेकर मुखर दिखे। पोस्टर में जीटीए के तत्काल ऑडिट, पहाड़ी आंदोलन के दौरान बिजली बिल का बकाया जारी करने, पहाड़ी आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई वापस लेने और भाजपा सहयोगियों पर फायरिंग की मांग की गई है। नए राजनीतिक दल के गठन को लेकर एक बार फिर से पहाड़ पर राजनीती गरमा गई है , देखने वाली बात होगी की यह पार्टी क्या गुल खिलाती है और पहाड़ पर क्या नए राजनितिक समीकरण बनाते है।


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