पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश के नवनिर्मित संसद भवन को गैरजरूरी बताया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि नई संसद की क्या जरूरत थी? पहले की इमारत एक ऐतिहासिक थी। मैंने बार-बार कहा है कि सत्ता में बैठे लोग इस देश के इतिहास को बदल देंगे। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं नए संसद भवन का उद्घाटन अब प्रधानमंत्री कर रहे हैं जबकि तमाम दल राष्ट्रपति से कराने की मांग कर रहे हैं। मोदी सरकार का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि जो शासन में हैं वे इतिहास बदलने में लगे हैं।
वहीं दिल्ली में शनिवार को हो रही नीति आयोग की बैठक में शामिल होने को लेकर नीतीश ने कहा कि वे आज की नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। साथ ही कल नए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होने का कोई मतलब नहीं था। दरअसल पहले ही सीएम नीतीश की जदयू सहित देश के 19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन सत्र का बहिष्कार करने को लेकर घोषणा कर रखी है। अब नीतीश ने फिर से दोहराया है कि वे नहीं जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने नई संसद के औचित्य को लेकर भी सवाल किया है और कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2000 का नोट बंद करने के निर्णय पर भी सीएम नीतीश ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि पहले दो हजार का नोट लाया गया और 1000 वाला बंद कर दिया। फिर 2000 वाला लाया बंद कर दिया। आखिरकार यह लोग करना क्या चाहते हैं. उन्होंने मोदी सरकार की निर्णय क्षमता पर सवाल किया कि आखिर ये लोग अपने निर्णय को बार बार बदलते क्यों हैं।
28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. हालांकि करीब 21 विपक्षी दलों के इसमें शामिल नहीं होने की संभावना है। वहीं जो दल शामिल हो रहे हैं उसमें अधिकांश पूर्वोतर भारत के छोटे छोटे राज्यों से आने वाले राजनीतिक दल हैं। इसके अलावा तमिलनाडु से अन्नाद्रमुक, कर्नाटक से जदएस, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी, महाराष्ट्र से एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना, पंजाब से अकाली दल, ओडिशा से बीजद जैसे कुछ प्रमुख राजनीतिक दल शामिल है।
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