पटना। बिहार की नीतीश सरकार की तरफ से राज्य में होने वाली जाति गणना पर पटना हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नीतीश सरकार को झटका देते हुए जाति गणना पर रोक लगा दी है। बिहार में जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद गुरुवार को कोर्ट ने आदेश सुनाया है। हाई कोर्ट से तत्काल जाति गणना पर रोकने की मांग करने वाली सभी याचिकाओं पर मंगलवार और बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
ऐसे में सरकार को झटका देते हुए हाई कोर्ट ने जातीय जनगणना पर तत्काल रोक लगा दी है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी। बता दें कि बिहार में दूसरे और अंतिम दौर और जाति आधारित गणना जारी है। ऐसे में अदालत का यह फैसला बड़ा झटका है।
अदालत में सरकार ने रखा पक्ष
सुनवाई के दौरान अदालत में अपना पक्ष रखते हुए सरकार की तरफ से कहा था कि कुछ चुनिंदा लोग इसका विरोध कर रहे हैं, जबकि अधिकतर लोग अपनी जाति बताने में संकोच नहीं कर रहे हैं। लोग अपनी इच्छा से सभी 17 सवालों का जवाब दे रहे हैं। सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ने कहा कि गणना के लिए जो 17 प्रश्न तय किए गए हैं, उससे किसी की गोपनीयता भंग नहीं हो रही है। इसी के साथ यह भी कहा कि राज्य सरकार को गणना करने का अधिकार है।
पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद का बयान
वहीं इस मामले पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि बिहार सरकार ने इस मुद्दे को ठीक से हाईकोर्ट के सामने नहीं रखा, इसलिए इस प्रकार का निर्णय आया है। मैं तो इस महागठबंधन सरकार पर आरोप लगाता हूं कि जाति आधारित जनगणना पर इनकी (बिहार सरकार) मंशा गलत थी। NDA सरकार ने तो जाति आधारित जनगणना कराने का निर्णय लिया था।
Comments are closed.