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पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन: मिर्जापुर में बेटी के घर अंतिम सांस ली, काशी में होगा अंतिम संस्कार

वाराणसी: प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार सुबह मिर्जापुर में निधन हो गया। सुबह 4 बजे के करीब निधन हुआ। वह 91 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे. . .

वाराणसी: प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार सुबह मिर्जापुर में निधन हो गया। सुबह 4 बजे के करीब निधन हुआ। वह 91 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके परिवार ने बताया कि उम्र से जुड़ी दिक्कतों के साथ उनके फेफड़ों में पानी भर गया था। कुछ दिनों पहले तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें BHU के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हाल ही में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, इसके बाद से वो बेटी के घर मिर्जापुर में थे, जहां उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली, आज वाराणसी में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। किराना और बनारस घराना की गायकी के प्रतिनिधि मिश्र ने खयाल, ठुमरी, भजन सहित शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाया। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें भारतीय कला-संस्कृति का समर्पित सेवक बताया। बता दें कि पंडित छन्नूलाल मिश्र साल 2014 में वाराणसी से सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी बने थे।

जन्म 3 अगस्त 1936 को

गायक छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर में हुआ था। उनके दादा, गुदई महाराज शांता प्रसाद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे। छन्नूलाल ने छह साल की उम्र में ही अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की बारीकियां सीखी। छन्नूलाल को नौ साल की उम्र में उनके पहले गुरू उस्ताद गनी अली साहब ने खयाल सिखाया। उन्होंने पहले अपने पिता, बद्री प्रसाद मिश्रा के साथ संगीत सीखा और तब किराना घराने के ‘उस्ताद अब्दुल गनी खान’ ने उन्हें शिक्षित किया। उसके बाद ठाकुर जयदेव सिंह ने उन्हें प्रशिक्षित किया।

कर्मभूमि बनारस रहा


छन्नूलाल की कर्मभूमि बनारस रहा है और ये किराना घराना और बनारस घराना की गायकी के प्रतिनिधि कलाकार थे। उन्‍हें खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए जाना जाता है। छन्नूलाल की सांगीतिक शिक्षा मुजफ्फरपुर में हुई। चतुर्भुज स्थान में एक कोठरी में रह कर संगीत साधना करते थे। छन्नूलाल को वर्ष 2020 में पद्म विभूषण, वर्ष 2010 में पद्मभूषण वर्ष 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

पीएम मोदी ने शेयर की तस्वीर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गायक छन्नूलाल मिश्रा की सोशल मीडिया पर फोटो शेयर की। पीएम ने लिखा कि सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सदैव उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा। साल 2014 में वे वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे। शोक की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं।
गायन शैली और काशी से अटूट नाता

कई गायन शैलियों के विद्वान

पंडित छन्नूलाल मिश्र की पहचान उनके बहुमुखी गायन से थी। वह ख्याल, ठुमरी, भजन, कजरी, चैती और दादरा जैसी शास्त्रीय और लोक विधाओं के अनुपम मिश्रण थे। लेकिन काशी (वाराणसी) में उनकी विशेष पहचान एक धार्मिक भजन ‘फागुन मास के समय खेले मसाने में होली दिगम्बर- खेले मसाने में होली’ से थी। मान्यता है कि उनकी इस विशेष गायकी के बिना वाराणसी की होली पूर्ण नहीं मानी जाती थी। यह भजन फागुन के महीने में भगवान शिव के श्मशान घाट में भूत-पिशाचों के साथ होली खेलने का अलौकिक वर्णन करता है, जिसमें ‘दिगंबर’ भगवान शिव के नग्न स्वरूप को दर्शाता है।