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‘पूरे देश में महिला जजों की संख्या…’ चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने आधी आबादी पर कही बड़ी बात

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नई दिल्ली। हाल ही में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ के कार्यक्रम में कहा था कि न्यायपालिका में महिलाओं की भूमिका बेहद अहम है। अब भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि महिला जजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि उत्साह बढ़ाने वाली है। उन्होंने कहा, यह देशव्यापी चलन है।
तीन जजों की पीठ में क्या बोले चीफ जस्टिस
शुक्रवार को सीजेआई ने कहा, हम कुछ खुशखबरी साझा करना चाहते हैं। यहां अदालत कक्ष में महाराष्ट्र के सिविल जज जूनियर डिवीजन के 75 न्यायाधीश हैं। 75 जजों के बैच में से 42 महिलाएं और 33 पुरुष हैं। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के साथ मामले की सुनवाई के लिए बेंच में बैठे सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “यह चलन पूरे देश में दिख रहा है। महिला न्यायाधीशों की संख्या अधिक है।”
वरिष्ठ वकीलों ने भी कहा- महिलाओं की संख्या बढ़ाना जरूरी
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह दोपहर के भोजन के दौरान महिला न्यायाधीशों सहित सभी न्यायिक अधिकारियों से मुलाकात का प्रयास करेंगे। चीफ जस्टिस की टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे समेत कुछ वकीलों ने सीजेआई से शीर्ष अदालत में महिला न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने के लिए पर्याप्त कदम उठाने की अपील की।
उच्च न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या एक तिहाई हो
वकीलों की अपील के बाद सीजेआई ने कहा, “आज की नियुक्तियां 15 साल पहले की स्थिति दिखाती हैं।” गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पूर्व अध्यक्ष ने भी हाल ही में महिला जजों की संख्या पर बयान दिया था। वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने सीजेआई को लिखे पत्र में कहा था कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों के एक तिहाई पद महिलाओं को आवंटित किए जाने की जरूरत है।
सीजेआई से महिला आरक्षण का जिक्र, बार एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख क्या बोले?
विकास सिंह ने संसद से पारित महिला आरक्षण कानून का जिक्र करते हुए कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक का भी जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष के रूप में तीन कार्यकाल पूरा कर चुके विकास सिंह ने लिखा, पटना, उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर के उच्च न्यायालयों में एक भी महिला न्यायाधीश नहीं हैं। शेष 20 उच्च न्यायालयों में 670 पुरुष न्यायाधीशों की तुलना में केवल 103 महिला न्यायाधीश हैं।
2027 में देश को पहली महिला चीफ जस्टिस मिलने का अनुमान
न्यायपालिका में महिला जजों की संख्या पर सीजेआई की टिप्पणी अहम मानी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल सिर्फ तीन महिला न्यायाधीश हैं। अदालती मामलों पर नजर रखने वाले जानकारों का अनुमान है कि बीवी नागरत्ना करीब 4 साल बाद 2027 में देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बन सकती हैं। जबलपुर दौरे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि महिलाओं के पास न्याय का नैसर्गिक गुण होता है।


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