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बढ़ती जनसंख्या से डरने की जरूरत नहीं : भारत में प्रजनन दर में गिरावट, 2080 तक जनसंख्या 1.8 या 1.9 अरब पर हो जाएगी स्थिर

नई दिल्ली। भारत में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में गिरावट के कारण वर्ष 2080 तक देश की आबादी 1.8 या 1.9 अरब पर स्थिर होने की उम्मीद है। वर्तमान में टीएफआर 1.9 है, जो प्रतिस्थापन स्तर से कम है। भारत. . .

नई दिल्ली। भारत में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में गिरावट के कारण वर्ष 2080 तक देश की आबादी 1.8 या 1.9 अरब पर स्थिर होने की उम्मीद है। वर्तमान में टीएफआर 1.9 है, जो प्रतिस्थापन स्तर से कम है। भारत तेजी से जनसांख्यिकीय परिवर्तन से गुजर रहा है, जहां पिछले दो दशकों में जन्म दर में तीव्र गिरावट आई है। भारतीय जनसंख्या अध्ययन संघ (आईएएसपी) के महासचिव अनिल चंद्रन ने कहा कि साल 2000 में हमारी कुल प्रजनन दर 3.5 थी और आज यह 1.9 है। यह एक बड़ी गिरावट है। उन्होंने दावा किया है क भारत की जनसंख्या 2080 तक 1.8 या 1.9 अरब के स्तर पर चरम पर पहुंचने की उम्मीद है, जब वृद्धि स्थिर हो जाएगी।

परिवार होते जा रहे सीमित

महासचिव ने कहा कि सभी अनुमान बताते हैं कि भारत की अधिकतम जनसंख्या दो अरब से नीचे ही रहेगी। उन्होंने प्रजनन दर में गिरावट का मुख्य कारण बढ़ते विकास और शिक्षा स्तर को बताया। महिलाओं में साक्षरता बढ़ने ने सीधे तौर पर विवाह और मातृत्व से जुड़े निर्णयों पर असर डाला है, जिससे परिवार छोटे होते जा रहे हैं। गर्भनिरोधकों के बढ़ते इस्तेमाल और जन्म नियंत्रण उपायों के व्यापक तौर पर उपलब्ध होने से भी प्रजनन दर में तेजी से गिरावट आयी है।

प. बंगाल में तेजी से गिरावट

उन्होंने कहा कि देर से विवाह होने और बढ़ते आर्थिक अवसरों का भी असर पड़ा है। विकास और जन्म दर का विपरीत समानुपाती संबंध होता है। अशिक्षित समूहों में प्रजनन दर अब भी तीन से ऊपर है, जबकि शिक्षित वर्ग में यह 1.5 से 1.8 के बीच है। पश्चिम बंगाल की प्रजनन दर में भी तीव्र गिरावट देखी गयी है।

सबसे कम प्रजनन दर वाला राज्य बंगाल

सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम-2023 की सांख्यिकी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का कुल प्रजनन दर 1.3 पर आ गया है, जो 2013 में 1.7 था। यह लगभग 18 प्रतिशत की गिरावट है। प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से काफी नीचे है। पश्चिम बंगाल अब देश में सबसे कम प्रजनन दर वाले राज्यों में शामिल हो गया है।

डे केयर केंद्र अब अस्तित्व में आ रहे

जनसांख्यिकी विशेषज्ञ ने बताया कि जन्म दर में गिरावट के बावजूद, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण जीवन प्रत्याशा बढ़ती जा रही है। अधिक लोग 60 वर्ष की आयु से ज्यादा जी रहे हैं और इससे वृद्ध देखभाल की दिशा में नयी चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं, खासकर तब जब युवा लोग काम के लिए पलायन करते हैं। इसी कारण से डे केयर केंद्र अब अस्तित्व में आ रहे हैं।

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