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बी-1 बॉम्बर, एफ-35 के साथ दिखी अमेरिका- भारत की रणनीतिक साझेदारी

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नई दिल्ली। बैंगलुरू के आसमान पर पिछले हफ्ते उड़ते अमेरिका के बी-1 बॉम्बर और पांचवीं पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट एफ-35 भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी की झलक दे रहे थे। अमेरिका के दो एफ-18 सुपर हॉर्नेट (फ़ाइटर एयरक्राफ्ट) भी एयरो इंडिया में दिखाई दिए।। एफ-18 सुपर हॉर्नेट इस वक्त फ्रांस के फाइटर एयरक्राफ्ट रफाल (एम) से मुकाबला कर रहा है। इंडियन नेवी के नए स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के लिए एफ-18 सुपर हॉर्नेट और रफाल (एम) से किसी एक को चुना जाना है। नेवी कह चुकी है कि ट्रायल में दोनों ही फाइटर एयरक्राफ्ट का प्रदर्शन सही रहा और अब सरकार को तय करना है कि नेवी को इन दोनों में से कौन सा एयरक्राफ्ट मिलेगा।
एयरो इंडिया 2021 में भी आया था अमेरिका का बी-1 बॉम्बर
अमेरिका अपने बी-1 बॉम्बर को 2021 में हुए एयरो इंडिया में भी भेज चुका है। तब वह पहला मौका था जब बी-1 बॉम्बर ने भारत में उड़ान भरी। इस बार फिर बी-1 बॉम्बर भारत पहुंचा और इसने अलग अलग दिन एयर शो में हिस्सा लिया। यूएस एयरफोर्स के दो B-1B Lancers बैंगलुरू पहुंचे थे। ये ग्वाम के एंडरसन एयरफोर्स बेस से आए, जो इनकी टेंपरेरी ड्यूटी लोकेशन है। B-1B Lancer सुपरसोनिक हेवी बॉम्बर है। यह यूएस में अपने बेस से दुनिया में कहीं भी अपने मिशन को अंजाम दे सकते हैं। यह गाइडेड और अनगाइडेड वेपन का सबसे ज्यादा पे लोड (जितना भार उठा सकता है) क्षमता वाला प्लेटफॉर्म है। इसे अमेरिका की लॉग रेंज बॉम्बर फोर्स की बैकबोन कहा जाता है। इसे बोन भी कहा जाता है।
अमेरिका ने कहा कि एयरो इंडिया में अमेरिका के महाविनाशक बॉम्‍बर का पहुंचना इस बात को दर्शाता है कि भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक भागीदारी कितनी अहम है। पिछली बार 2021 में जब एयरो इंडिया हुआ था तब बी-1 बॉम्बर ने उद्घाटन में फ्लाई पास्ट किया था। इसे इंडियन एयरफोर्स के फाइटर एयरक्राफ्ट तेजस एस्कॉर्ट कर रहे थे। लॉग रेंज सुपरसोनिक हेवी बॉमर की इस बार फिर एयरो इंडिया में वापसी हुई।
इस साल एयरो इंडिया में नहीं दिखा रूस का ऑर्लेन-30
बॉम्बर के अलावा यूएस एयरफोर्स के सबसे अडवांस फाइटर जेट एफ-35 भी एयरो इंडिया में रहे। दो एफ-35 ने हर दिन एयर शो में उड़ान भरी। यह स्टेल्थ फाइटर जेट हैं जो दुश्मन की रडार से बचते हुए अपने मिशन को पूरा कर सकते हैं। जहां यूएस के बॉम्बर से लेकर एफ-35 और एफ-18 सुपर हॉर्नेट तक एयरो इंडिया में रहे वहीं रूस की तरफ से कुछ खास नहीं दिखा। पहले ऐलान किया गया था कि रूस की कंपनी रोजोबोरो एक्सपोर्ट पहली बार रूस से बाहर अपने अडवांस ऑर्लेन-30 (orlan-30) ड्रोन को लेकर आ रही है। लेकिन यह एयरो इंडिया में नहीं दिखा और इसकी वजह भी नहीं बताई गई। इस ड्रोन का इस्तेमाल रूस-यूक्रेन वॉर में भी खूब दिखा। इस ड्रोन ने मिडियम एल्टीट्यूट (मध्यम ऊंचाई) से यूक्रेन के सैनिकों और वीइकल को पहचाना और ट्रेक किया फिर उस लोकेशन को आर्टिलरी और मिसाइल टीम को भेजा और तब उन्हें निशाना बनाया गया। यूक्रेन ने एक ऑर्लेन-30 ड्रोन को मार भी गिराया था।


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