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भवानीपुर सीट को लेकर शुभेंदु अधिकारी ने दिया बड़ा बयान : बोले- एसआईआर के बाद भवानीपुर के 77 नंबर वार्ड में भी टीएमसी को बढ़त नहीं मिलेगी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। खासतौर पर “हॉटसीट” भवानीपुर को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। इस बार भवानीपुर केंद्र को लेकर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता. . .

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। खासतौर पर “हॉटसीट” भवानीपुर को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। इस बार भवानीपुर केंद्र को लेकर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दावा किया कि भवानीपुर कभी भी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के लिए सुरक्षित सीट नहीं थी, और अब एसआईआर के बाद तो पार्टी अपने मजबूत माने जाने वाले चेतला के 77 नंबर वार्ड में भी लीड नहीं पाएगी।

सिर्फ 20% मतदाता अल्पसंख्यक हैं

शुभेंदु अधिकारी ने कहा,”भवानीपुर कभी टीएमसी के लिए सेफ सीट नहीं रही। यहां सिर्फ 20% मतदाता अल्पसंख्यक हैं। 2021 में ममता बनर्जी चेतला के 77 नंबर वार्ड से 17,000 वोटों की लीड लेकर कुल 7,800 वोटों से जीती थीं। लेकिन शुभेंदु के बाद अगर बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों के नाम सूची से हटते हैं, तो तृणमूल को उस वार्ड में भी बढ़त नहीं मिलेगी।”
उन्होंने आगे बताया कि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को भवानीपुर के 8 में से 5 वार्ड में बढ़त मिली थी। इतना ही नहीं, 2014 में दक्षिण कोलकाता से भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय को भी इसी वार्ड में बढ़त मिली थी।
शुभेंदु ने स्पष्ट किया कि वे इस सीट से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा, “मैंने नंदीग्राम में हराया था, भवानीपुर में भी हराऊंगा।”

शुभेंदु अभी से सपनों में बिरयानी में घी डाल रहे हैं

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने शुभेंदु के इन दावों को खारिज कर दिया है। राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम ने पलटवार करते हुए कहा, “भवानीपुर नंदीग्राम नहीं है जहाँ धांधली करके जीता जा सकता है। यहां लोग जागरूक हैं, और सोच-समझकर वोट देते हैं।”
TMC प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने भी कटाक्ष करते हुए कहा, “शुभेंदु अभी से सपनों में बिरयानी में घी डाल रहे हैं। लेकिन चुनाव जीतने के लिए सिर्फ डेटा और सपने काफी नहीं होते। कहीं ये सपना, बुरे सपने में न बदल जाए।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एसआईआर के बीच ममता बनर्जी के भवानीपुर को लेकर “आउटसाइडर” टिप्पणी और विपक्ष का हमला, इस सीट को लेकर मुकाबले को और भी दिलचस्प बना रहा है। अब देखना होगा कि एसआईआर के असर और नए वोटर लिस्ट के बाद भवानीपुर की राजनीतिक तस्वीर कितनी बदलती है।