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‘भारत पर गिर सकता है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ‘ रूसी स्पेस चीफ ने अमेरिका को लताड़ा

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नई दिल्ली। यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका ने जिस तरह से रूस पर पाबंदियों की घोषणा की है, वह उसे नागवार गुजर रहा है। मास्को को लग रहा है कि इससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन के काम में भी अड़ंगा लगेगा। यही वजह है कि उसने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। रूस ने अमेरिका से कहा है कि अगर वह असहयोग की वजह से अनियंत्रित होकर गिरेगा तो रूस उसकी चपेट में नहीं आने वाला। बल्कि, खुद अमेरिका ही उसकी चपेट में आ सकता है या फिर 500 टन का वह विशाल फुटबॉल मैदान जितना बड़ा ढांचा भारत पर भी गिर सकता है।
पाबंदियों के बाद रूस ने आईएसएस की सुरक्षा पर जताई आशंका रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकॉसमोस ने कहा है कि अमेरिका ने रूस के खिलाफ जो नई पाबंदियां लगाई हैं, उससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में दोनों का तालमेल बिगड़ सकता है। गुरुवार को रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के खिलाफ सख्त पाबंदियों का ऐलान किया है। बता दें कि इस समय अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में 4 अमेरिकी, दो रूसी और एक जर्मन अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं, जो लगातार रिसर्च के काम में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि अमेरिका ने इस स्टेशन को 2031 में बंद करने की घोषणा कर रखी है।
‘अनियंत्रित होकर गिरने से कौन बचाएगा?’
अमेरिका की ओर से रूस के खिलाफ लगाई गई पाबंदियों पर प्रतिक्रिया देते हुए रोसकॉसमोस के डायरेक्टर जनरल दिमित्रि रोगोजिन ने इस घोषणा के फौरन बाद ट्विटर पर फौरन लिखा, ‘अगर आप हमारे साथ सहयोग को रोकते हैं, तो आईएसएस को अनियंत्रित होकर कक्षा से बाहर आने और अमेरिका या यूरोप पर गिरने से कौन बचाएगा?’ बता दें कि एक फुटबॉल मैदान जितना लंबा यह इंटरनेशनल रिसर्च प्लेटफॉर्म पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा कर रहा है।
‘क्या 500 टन के स्पेस स्टेशन को भारत या चीन पर गिरा दें’
इसके बाद रूसी वैज्ञानिक ने जो लिखा वह भारत ही नहीं, चीन के लिए भी खतरे की चेतावनी की तरह है। दिमित्रि ने अगले ट्वीट में लिखा है, ‘500 टन के ढांचे को गिराने का एक और विकल्प है- भारत या चीन। क्या आप उन्हें इसकी आशंका से धमकाना चाहते हैं? आईएसएस रूस के ऊपर से नहीं उड़ता है, इसलिए हर जोखिम आपका है। क्या आप इन सबके लिए तैयार हैं?’ दरअसल, अमेरिका ने जो नए प्रतिबंधों की घोषणा की है, उसमें टेक्नोलॉजी के निर्यात को रोकना भी है और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन कहा है कि इससे रूस की मिलिट्री और एयरोस्पेस सेक्टर में विकास की क्षमता ‘सीमित’ होगी।
सिविल स्पेस में सहयोग जारी रहेगा-नासा
वैसे नासा ने स्पष्ट किया है कि नए प्रतिबंध अंतरिक्ष के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग को खतरे में नहीं डालेगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने अपने बयान में कहा है, ‘अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के सुरक्षित संचालन के लिए नासा स्टेट स्पेस कॉरपोरेशन रोसकॉसमोस समेत हमारे सभी अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ काम करना जारी रखेगा। नए निर्यात नियंत्रण उपाय अमेरिका-रूस के बीच सिविल स्पेस कॉपरेशन जारी रखेगा। ऑर्बिट और ग्राउंड स्टेशन ऑपरेशन में जारी एजेंसियों का सहयोग तय योजना के मुताबिक ही चलेगा।’ बाद में दिमित्रि ने ट्वीट कर कहा कि रूस अमेरिकी पाबंदियों का विस्तार से अध्ययन करेगा, फिर प्रतिक्रिया देगा।
सोवियत संघ के विघटन से रूस-अमेरिका आए थे साथ
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का जन्म सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका और रूस में रिश्ते बेहतर करने के कूटनीतिक पहल के तहत हुआ था। तब शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ऐसी परिस्थितियां पैदा हुई थीं। लेकिन, 2014 में जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया इलाके पर कब्जा किया तो फिर इस संबंध में खटास पैदा होने लगी। और अब यूक्रेन पर रूस के हमले ने परिस्थितिया बहुत ही बिगाड़ दी हैं।


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