नई दिल्ली। बच्चे से लेकर बड़ों तक, सभी के मन में यह जिज्ञासा जरूर होती है कि मरने के बाद क्या होता है! ऐसे और भी कई सवाल हैं जैसे कि मौत के समय कैसा महसूस होता है? उस वक्त दिमाग में क्या चल रहा होता है? मौत के समय इंसान को क्या दिख रहा होता है? शरीर से आत्मा कैसे अलग होती है? हम सभी के मन में ऐसी ही कई तरह की जिज्ञासाएं होती हैं। सबसे पहली बात कि मौत जो है, वह जिंदगी की एक कड़वी सच्चाई है। इस धरती पर जिसका भी जन्म हुआ है, उसकी मौत भी निश्चित है। इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है, यह अलग बात है कि किसी की मौत कैसे होती है, स्वाभाविक मौत, बीमारी से मौत या फिर किसी दुर्घटना में मौत।
हालाँकि नियर डेथ के कई मामले आपने सुने होंगे। कई बार लोग ये कहते हुए नजर आते हैं कि उन्होंने मरने के बाद की दुनिया देखी है। इस दावे पर यकीन कर पाना वाकई बेहद मुश्किल तो है लेकिन जब इस तरह के दावे लोग पूरे यकीन के साथ करें, तो इंसान सोचने पर मजबूर हो ही जाता है। चलिये ये तो रही सपने या फिर किसी के एक्सपीरियंस की बात। लेकिन अगर हम कहें कि मौत आने पर कैसा महसूस होता है? क्या नजर आता है? ऐसी ही कुछ चीजों के जवाब आपको मिल सकते हैं, तो क्या आप इस बात पर यकीन कर पाएंगे? शायद नहीं। लेकिन ये सब संभव है। जी हां! आफ्टर डेथ एक्सपीरियंस असल में कैसे संभव है, इसके बारे में चलिये विस्तार से आपको बताते हैं।
मौत… एक अटल सत्य
आफ्टर डेथ एक्सपीरियंस को लेकर लोगों में हमेशा ही उत्सुकता बनी रहती है। बने भी कैसे ना.. चाहे कुछ भी हो लेकिन मौत अटल सत्य है। जिसे ना तो झुठलाया जा सकता है और ना ही टाला जा सकता है। एक ना एक दिन मौत सभी को आनी ही है। लेकिन कैसा होगा अगर जीते जी आपको पता चले कि मरने के बाद अहसास कैसा होता है। इन सब चीजों को आसान बनाने के लिए वर्चुअल रियलिटी जैसी चीजें आ गई हैं। जी हां! ऑस्ट्रेलिया के आर्टिस्ट ने एक ऐसी व्यवस्था तैयार की है, जो लोगों को ये अनोखा अनुभव देने में मदद करेगी।
कैसे कर पाएंगे ये अनुभव?
विक्टोरिया की मेलबर्न नेशनल गैलरी शो में ये पूरी व्यवस्था की गई है। इसके जरिये लोगों को एक अनोखा अनुभव देने के लिए ग्लैडवेल ने बिजली के तूफानों की आवाज और कुछ मेडिकल तकनीक की मदद ली है। शो में तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। डेली स्टार की खबर के मुताबिक, ग्लैडवेल ने कहा कि इस एक्सपीरियंस से इंसान महसूस करता है कि उसे लगता है वो ब्रह्मांड की ओर जा रहा है और हवा में तैर रहा होता है।
मरने के बाद का एक्सपीरियंस
वे आगे कहते हैं कि मौत के अंतिम पलों को अनुभव करना व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में सोचने जैसा है। मेरे लिए इसमें उदासी जैसा कुछ नहीं बल्कि रंगो और मूड का स्पेक्ट्रम है। उनका कहना है कि लोगों को मौत का अनुभव कराने के लिए गैलरी में लाया जाता है। यहां अस्पताल जैसे दिखने वाले बेड पर उन्हें लेटने को कहा जाता है और फिर हार्ट बीट चेक करने जैसी मशीने लगी होती हैं। इस दौरान अगर किसी को असहज महसूस हो तो वो बीच में जा भी सकता है।
हवा में उठने जैसा फीलिंग
यहां बेड के साथ बड़े कंप्यूटर भी लगे होते हैं। जो एकदम अस्पताल के मॉनिटर जैसे नजर आते हैं। आप खुद को चश्मे की मदद से देख सकेंगे कि आपको उठाने की कोशिश की जा रही है। आप खुद को तैरता हुआ महसूस भी कर सकेंगे। और ऐसा लगेगा मानो ऐसा होता ही जा रहा है