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मार्च में कब है भाई दूज, 8 या 9 मार्च, यहां जानें सही तिथि, कारण, कथा

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नई दिल्ली। मार्च का महीना शुरू हो रहा है। ऐसे में इस महीने त्योहारों की झड़ी लग रही है। holi हो भी क्यों न। इसी महीने होली का त्योहार आ रहा है तो वहीं चैत्र नवरात्रि, हिन्दू नववर्ष भी आ रहा है। आपको बता दें होली के ठीक बाद जो खास त्योहार आता है वो है भाई दूज। अगर आप भी होली के बाद भाई दूज के त्योहार को लेकर कंफ्यूज हैं तो हम आपका कंफ्यूजन दूर करते हैं।
उदया तिथि के अनुसार इस दिन मनेगी भाई
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार होली के बाद इस बार भाई दूज का त्योहार 9 मार्च को मनाया जाएगा। इस बार तिथियों को लेकर कुछ घटबढ़ होने से ऐसा हो रहा है। आपको बता दें इस बार होलिका दहन 7 मार्च 2023 को होगा। तो वहीं धुरैड़ी यानि होली 8 मार्च को खेली जाएगी। इसी दिन रात में 6:45 से दूज तिथि शुरू हो जाएगी। परंतु भाई दूज का त्योहार उदया तिथि में मनाया जाता है। इसलिए उदया तिथि 9 मार्च को आने के कारण भाईदूज 9 मार्च को मनाई जाएगी।
भाई दूज — Bhai Dooj 2023
दिनांक — 9 मार्च 2023
द्वितीया तिथि प्रारंभ 8 मार्च की शाम 6:45 से शुरू
दिन : गुरुवार
भाई दूज पर तिलक करने की विधि – Bhai Dooj 2023 puja vidhi
इस दिन भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर भोजन कराने की परंपरा है।
पिसे चावल से चौक बनाएं। भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं।
भाई के हाथें में कलावा बांधें।
भाई को तिलक लगाएं। फिर भाई की आरती उतारें।
भाई को मिठाई खिलाएं।
मिठाई खिलाने के बाद भाई को भोजन कराएं।
भाई को बहन को कुछ न कुछ उपहार में जरूर देना चाहिए।
ऐसा करने से भाई की नहीं होती अकाल मृत्यु
इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि के लिए उनका तिलक करती हैं। मान्यता है कि जो बहन अपने भाई के माथे पर कुमकुम या रंग गुलाल का तिलक लगाती हैं, उनको सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जो भाई बहन के घर जाकर तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती।
भाई दूज की पौराणिक कथा:
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और उसके बाद अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की थी। सुभद्रा ने श्री कृष्ण के माथे पर तिलक लगाया और गले में माला डालकर स्वागत किया। सुभद्रा ने उन्हें मिठाई खिलाई और फिर अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना की। इस कथा के अलावा इस दिन के पीछे यम और यमी की कहानी भी है। आइए पढ़ते हैं यह कथा।
यम और यमी की कहानी:
हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है कि इस दिन भगवान यम लंबे समय के बाद अपनी बहन यमी से मिले थे। यमी अपने भाई यम से मिलकर बेहद खुश हुई थीं और उनका स्वागत आरती और मालाओं से किया था। साथ ही उनके माथे पर सिंदूर का तिलक लगाया था। फिर यमी ने यम के लिए एक शानदार दावत का आयोजन किया था। यम ने पूरा दिन अपनी बहन के साथ खुशियों में बिताया और घोषणा की कि जब कोई भाई इस दिन अपनी बहन से मिलने जाएगा तो उसे लंबी उम्र और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा।


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