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मालदा के लोगों ने आकाश में देखा दुर्लभ नजारा, सभी जानने के लिए उत्सुक थे कि आखिर है क्या

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मालदा । शुक्रवार को मालदा व आसपास के जिलों के लोग ने आकाश में दुर्लभ नजारे के गवाह बने। सूर्य के चारों ओर गोल इंद्रधनुष का दुर्लभ नजारा मालदा में देखने को मिला। मालदा में इस ब्रह्मांडीय दृश्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस रंगीन वलय को शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे सूर्य के चारों ओर देखा गया, जिसे कई लोगों ने इंद्रधनुष के रूप में व्याख्यायित किया है।
सूरज के चारों ओर इंद्रधनुष के सात रंगों में लिपटे इस घेरे को देखने के लिए बच्चो के साथ वृद्धों मे भी उत्सुकता देखि गयी। जिले के कई ज्योतिषियों ने दावा किया है कि ऐसा दुर्लभ ब्रह्मांडीय नजारा कई साल बाद मालदा के आसमान में देखा गया। ओल्ड मालदा के कलाचंद हाई स्कूल के छात्र भी कक्षा से बाहर आये और इस रंगीन घेरे को देखने के लिए सूरज को निहारते दिखे।
बहुतों में यह जानने की जिज्ञासा देखने को मिली की क्या वाकई यह इंद्रधनुष है, या कुछ और! सभी ने अलग-अलग स्पष्टीकरण दिया। हालांकि, कलाचंद हाई स्कूल के सहायक प्रधानाध्यापक स्वरूप दास ने कहा कि यह एक दुर्लभ दृश्य था। कई साल बाद मालदा के आसमान में ऐसा लौकिक दृश्य देखने को मिला। हालांकि मैं इसे इंद्रधनुष कहता हूं। इंद्रधनुष वास्तव में सूर्योदय या सूर्यास्त के समय देखा जाता है। हमने आमतौर पर पृथ्वी के एक छोर पर आधा आसमान देखा है। लेकिन इंद्रधनुष गोल है। जिनमें से आधा अक्सर नहीं देखा जाता है। लेकिन इस दिन सूर्य के चारों ओर सूर्य का रंगीन नजारा प्रकृति में इंद्रधनुष जैसा होता है।
उन्होंने ने कहा कि जब सूर्य की किरणें सिरस क्लाउड (वैसे बादल जिनकी परत काफी पतली और महीन होती है और जिनका निर्माण प्राय: 18 हजार फीट ऊपर होता है) में मौजूद हेक्सागन आकार के बर्फ के क्रिस्टल्स से विक्षेपित होती हैं, तब उससे छन के आनेवाली रोशनी न सिर्फ सात रंगों विभाजित हो जाती है बल्कि सूर्य से 22 डिग्री या उसके अधिक के एंगल में झुक जाती हैं
इसकी वजह से पृथ्वी से सूर्य के चारों तरफ एक छल्ला सा नजर आने लगता है और ऐसा नजारा सामने आता है। ऐसे बादलों का निर्माण तब होता है जब पृथ्वी की सतह से करीब पांच से 10 किलोमीटर ऊपर जलवाष्प, बर्फ के क्रिस्टल में संघनित हो जाते हैं, और अधिकतर ये हेक्सागन आकार में ही मिलते हैं। अत: इसका आकार भी ऐसी परिस्थिति के लिए जिम्मेदार है। ठंडे देशों में यह नजारा आम बात है। लेकिन भारत जैसे देश में इसका होना थोड़ा दुर्लभ है।


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