नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के विजेताओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद करते हुए उनकी बहादुरी का सम्मान किया है. इस दौरान बच्चों को डिजिटल सर्टिफिकेट भी बांटे गए। इस दौरान केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और राज्य मंत्री एम महेंद्रभाई भी इस मौके पर मौजूद रहे। भारत सरकार प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के तहत बाल शक्ति पुरस्कार नवाचार, खेल, कला और संस्कृति, सामाजिक सेवा, स्कूली क्षेत्र और बहादुरी के क्षेत्र में असाधारण क्षमताओं और उत्कृष्ट उपलब्धियों वाले बच्चों को सम्मानित करती है।
इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों यानी अपनी बाल सेना से वोकल फॉर लोकल अभियान से जुड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस मुहिम से बच्चों के जुड़ने पर आत्म निर्भर भारत का सपना जरूर पूरा होगा. प्रधानमंत्री ने बच्चों को जिंदगी में कामयाबी का मंत्र बताते हुए कहा कि बड़े काम के लिए उम्र की सीमा नहीं होती है।
बच्चों के साथ अपने संवाद में पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत के बच्चों ने, अभी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में भी अपनी आधुनिक और वैज्ञानिक सोच का परिचय दिया है। 3 जनवरी के बाद से सिर्फ 20 दिनों में ही चार करोड़ से ज्यादा बच्चों ने कोरोना वैक्सीन लगवाई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। इससे आपको पढ़ने में, सीखने में और आसानी होगी. आप अपनी पसंद के विषय पढ़ पाएं, इसके लिए भी शिक्षा नीति में विशेष प्रावधान किए गए हैं। आज हमें गर्व होता है कि दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों के सीईओ युवा भारतीय हैं। आज हमें गर्व होता है जब देखते हैं कि भारत के युवा स्टार्ट अप की दुनिया में अपना परचम फहरा रहे हैं। आज हमें गर्व होता है, जब हम देखते हैं कि भारत के युवा नए-नए इनोवेशन कर रहे हैं,देश को आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे में आपको भी बड़ी सोच रखते हुए भविष्य में कुछ कर गुजरने का जज्बा रखना चाहिए।’
मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा, ‘स्वच्छ भारत अभियान की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय भी मैं भारत के बच्चों को देता हूं। आप लोगों ने घर-घर में बाल सैनिक बनकर, अपने परिवार को स्वच्छता अभियान के लिए प्रेरित किया. जैसे आप स्वच्छता अभियान के लिए आगे आए, वैसे ही आप वोकल फॉर लोकल अभियान के लिए भी आगे आइए। आप घर में गिनती करें, कि ऐसे कितने प्रोडक्ट हैं, जो भारत में नहीं बने हैं बल्कि विदेशी हैं. इसके बाद घर के लोगों से आग्रह करें कि भविष्य में जब वैसा ही कोई प्रोडक्ट खरीदा जाए तो वो अपने देश में बना हो।’
सरकार ने इस साल कुल 29 बच्चों को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2022 के लिए चुना है। इस साल विजेताओं को ‘ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी’ का इस्तेमाल कर डिजिटल सर्टिफिकेट्स दिए गए। हर साल प्रधानमंत्री यह पुरस्कार पाने वाले बच्चों से नई दिल्ली में मिलते हैं मगर कोविड-19 के चलते इस बार ऐसा नहीं हो सका।
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