नई दिल्ली । लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar Birth Anniversary) की आवाज का जादू आज भी पूरी दुनिया पर छाया हुआ है, उन्होंने अपनी सुरीली आवाज से करोड़ों दिल पर राज किया है. आज उनकी 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है, ऐसे में हम आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े अनकहे और मजेदार किस्से. मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार और मुकेश के साथ-साथ अन्य प्रमुख भारतीय गायकों के साथ उनके सोलो और ड्यूट हिंदी सिनेमा के सबसे यादगार गानों में से एक हैं. लता मंगेशकर कलाकारों के परिवार से थीं. उनके पिता एक थिएटर कंपनी चलाते थे और लता को संगीत का शौक था.
जब बहनों (लता और आशा भोसले) ने सिंगिग शुरू किया तो उनका उद्देश्य अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना था. एक पुराने इंटरव्यू में, उन्होंने अपने पापा के बिजनैस को याद किया. उन्होंने कहा, “ऐसा हुआ कि एक बार मेरे पिता ने कुछ काम खत्म करने के दौरान अपने शागिर्द (शिष्य) को एक राग करने के लिए कहा. मैं पास में ही खेल रही था और अचानक राग का एक स्वर बजने लगा जिसे एक शिष्य प्रस्तुत कर रहा था. अगले ही मिनट, मैं उसके द्वारा गाए जाने वाले राग को ठीक करने लगी. और जब मेरे पिता लौटे, तो उन्हें अपनी बेटी में एक शिष्य की खोज हुई. तो एक शिष्य के राग को सही करने के बाद से मेरी सिंगिग का भी अभ्यास शुरू होने लगा.
कैसे पड़ा नाम लता
लता जी जब वह 5 साल की थीं, तब उन्होंने अपने पिता के लिए कई प्लेज में भी काम किया था. लता मंगेशकर के जन्म के समय उनका नाम हेमा रखा गया था और बाद में उनके पिता के नाटक लतिका नाम के एक किरदार से प्रेरित होकर उनका नाम बदलकर लता कर दिया गया. लता एक बार संगीतकार नौशाद के साथ एक गाना रिकॉर्ड करते समय बेहोश हो गई थीं. उन्होंने एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया और कहा, “हम गर्मी की एक लंबी दोपहर में एक गाना रिकॉर्ड कर रहे थे.
आप जानते हैं कि गर्मियों में मुंबई की हालत कैसी होती है. उन दिनों रिकॉर्डिंग स्टूडियो में एयर कंडीशनिंग नहीं होती थी. और यहां तक कि अंतिम रिकॉर्डिंग के दौरान सीलिंग फैन भी बंद कर दिया गया था. जिससे में बेहोश हो गई. लता मंगेशकर ने भारतीय सेना और राष्ट्र को श्रद्धांजलि के रूप में अपना आखिरी गाना ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ रिकॉर्ड किया था, जिसे मयूरेश पई ने कंपोज किया था. इसे 30 मार्च 2019 को रिलीज़ किया गया था.