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वेयरवुल्फ सिंड्रोम : एक अनोखी बीमारी जिसमें चेहरा बन जाता है भालू जैसा, जानिए इसके लक्षण और कारण

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वेयरवुल्फ बहुत ही रेयर और अजीब सी बीमारी है जिसमें व्यक्ति के शरीर के किसी भी हिस्से में भालू जैसे बाल आने लग जाते हैं। पूरा शरीर भालू जैसी प्रवृत्ति धारण करने लग जाता है। हाल ही में एमपी में एक लड़के में इस बीमारी के लक्षण दिखाए दिए हैं। इस बीमारी को हाइपरट्राइकोसिस भी कहते हैं। यह बहुत ही दुर्लभ और असामान्य तरह की बीमारी है जो उम्र या लिंग नहीं देखती। पुरुष या महिला किसी को भी किसी भी उम्र में ये बाल की समस्या हो सकती है और उसका चेहरा भालू जैसे दिखने लग जाता है।
क्या है वेयरवोल्फ सिंड्रोम (What is Werewolf Syndrome)
हाल ही में महाराष्ट्र में एक व्यक्ति को यह बीमारी पाई गई है, जिसमें उसका चेहरा भालू जैसा लग रहा है क्योंकि उसके चेहरे और हाथों में काफी बाल दिखाई दे रहे हैं जो सामान्य नहीं है। .वेयरवोल्फ सिंड्रोम जन्म के समय हो सकता है या समय के साथ साथ विकसित हो सकता है। आईए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं, ये क्यों होती है, इसके लक्षण क्या है और क्या अब तक इसका कोई इलाज मिल पाया है।
कारण (Causes of Werewolf Syndrome) 
इस बीमारी के पीछे कई कारणों को बताया गया है, जैसे कुपोषण, पर्याप्त देखभाल न मिलना,दवाओं का रिएक्शन लेकिन जेनेटिक को इस बीमारी के लिए अहम कारण बताया जा रहा है।
जेनेटिक हो सकती है बीमारी (Genetic) 
डेली स्टार यूके की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ लोगों में यह दुर्लभ सिंड्रोम क्यों हो जाता है। इसके बारे में अभी कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। हालांकि कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि इस बीमारी का आनुवंशिकी से कुछ लेना-देना हो सकता है, यानी अगर आपके परिवार में किसी को यह बीमारी पहले हुई हो तो आपको भी हो सकती है,जिसके चलते आपके चेहरे पर घने बाल उग आते हैं और चेहरा भेड़िये या भालू की तरह दिखने लगता है।
विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि एक विशेष जीन की वजह से चेहरे के बाल बहुत तेजी से बढ़ जाते हैं और चेहरा डरावना हो जाता है। जिसके बाद वह इंसान वेयरवोल्फ की तरह दिखने लगता है। साल 2011 में अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों ने इस बीमारी पर एक स्टडी की थी, जिसमें पाया गया कि इस बीमारी का आनुवंशिकता के साथ कोई कनेक्शन जरूर है।
कितने प्रकार की होती है यह बीमारी (Types of Werewolf Syndrome) 
जन्मजात हाइपरट्रिचोसिस लैनुगिनोसा भी कहते हैं. इसमें जन्म लेने वाले बच्चे के शरीर पर कुछ समय बाद महीन बाल दिखाई देते हैं। बाद के सप्ताह में शरीर के विभिन्न हिस्सों में इनकी लंबाई बढ़ती है लेकिन यह एक लिमिट के बाद रुक जाते हैं। जन्मजात हाइपरट्रिचोसिस टर्मिनलिस- इस बीमारी में जन्म लेने वाले बच्चों के चेहरे पर कुछ अजीब से बाल दिखाई देते हैं.जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती जाती है,उन बालों की लंबाई भी बढ़ती जाती है और फिर धीरे-धीरे वे पूरे चेहरे को ढंक लेते हैं।
इस स्थिति के कारण बाल भी तीन प्रकार के होते हैं
टर्मिनल : घने और लंबे बाल
वेल्लस: ये बाल आम तौर पर बहुत छोटे होते हैं और किसी व्यक्ति के शरीर पर उनके पैरों के तलवों, होंठों और कानों के पिछले हिस्से को छोड़कर कहीं भी स्थित हो सकते हैं.
लैनुगो: यह नवजात शिशु पर होते हैं जो आमतौर पर जन्म के कुछ दिनों बाद खत्म हो जाते हैं.
इलाज (Treatment of Werewolf Syndrome)
अब तक इसका कोई इलाज नहीं मिल पाया है। 20 लाख में से कुछ एक लोगों को ही यह बीमारी होती है लेकिन फिर भी अगर इसका प्राथमिक इलाज कोई करवाना चाहे तो चेहरे पर लेजर थेरेपी, शेविंग, वैक्सिंग और प्लकिंग से भी चेहरे के बाल साफ किए जा सकते हैं। इसके बावजूद यह बीमारी बनी रहती है और बाल लगातार आते रहते हैं।


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