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संसद में सभापति धनखड़ ने सुनाया ऐसा किस्सा, जिसे सुन हंसी नहीं रोक पाए सांसद

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नई दिल्ली। संसद की कार्यवाही कई दिनों से बाधित है। पक्ष और विपक्ष दोनों हंगामा करता है और सदन की कार्यवाही स्थगित हो जाती है। आज दिल्ली के आसमान में छाए बदरा सुबह से ही हल्की बारिश कर रहे हैं। दिलचस्प है कि सदन के भीतर भी माहौल बदला-बदला दिखा। जी हां, आज हास्य की बौछारें पड़ीं। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने वकालत के दिनों का किस्सा सुनाते हुए हास्य का माहौल बना दिया। उन्होंने कहा कि जब एक जज साहब वकील की लंबी दलीलों से थक गए तो उन्होंने वकील से कहा कि क्या आप ब्रीफ में अपनी बात नहीं रख सकते हैं? वकील बाहर गया और… (यह कहते हुए धनखड़ ने अपनी तरफ इशारा किया।) सदन में हंसी की लहर दौड़ गई। मुस्कुराते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आजकल सदन में हास्य कहां गुम हो गया है।
ताकत अपने लफ्जों में डालो…
दिग्विजय सिंह ने खड़े होकर ब्रीफ आर्ग्यूमेंट पर कुछ कहा तो उच्च सदन के सभापति ने शेर पढ़ा, ‘ताकत अपने लफ्जों में डालो, आवाज में नहीं। क्योंकि फसल बारिश से उगती है, बाढ़ से नहीं।’ इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे खड़े हुए। उन्होंने कहा कि आप कह रहे हैं कि हम हंस नहीं रहे। लेकिन जब सूखा होता है तो हंसने का सवाल ही नहीं उठता है। अब पूरे हाउस में सूखा पड़ा है। नेता प्रतिपक्ष की बात सुनकर नेता सदन पीयूष गोयल खुद को रोक नहीं पाए। उन्होंने कहा, ‘सर, सूखा पड़े या बाढ़ आए। ये तो विधाता के हाथ में है, हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन जब हमारे हाथ में कुछ चीजें होती हैं तो कम से कम उसमें तो सूखा न पड़ने दें। उस पर तो बारिश आए।’
हंसी का दौर कुछ मिनट और चला। सभापति ने कहा कि माननीय सदस्यो, ‘ऐसा नहीं है कि मैं कोई शायर हूं, पर इतना मत बोलो कि लोग चुप होने का इंतजार करें। इतना बोलकर चुप हो कि लोग दोबारा बोलने का इंतजार करें।’ इसके बाद लोकसभा से पारित मनी बिल उच्च सदन में पेश किया गया। कई और प्रस्ताव रखे गए। सुबह 11.20 बजे तक सदन में कई बिल पेश किए जा चुके थे। इसके बाद सदस्य हंगामा करने लगे। राहुल गांधी माफी मांगो के नारे गूंजे। इस पर सभापति ने कहा कि सदन ऑर्डर में नहीं है। यह कहते हुए सदन की कार्यवाही दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।


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