सिलीगुड़ी में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, मुख्यमंत्री ममता ने भी दी बधाई, आखिर क्यों मनाया जाता है यह दिवस
सिलीगुड़ी। पूरे राज्य के साथ जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी आदि जगहों में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया।सिलीगुड़ी शहर बाघाजतिन पार्क मैदान में पंच शहीद बेदी पर निगम के सचिव सोनम वांगदीभूटिया, भावी मेयर गौतम देव, कमल अग्रवाल, अशोक भट्टाचार्य सहित अन्य लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
जलपाईगुड़ी में सोमवार को पूरे विधान से अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया। शहर के सदर प्राथमिक बालिका विद्यालय में इस भाषा आंदोलन में शहीदों की स्मृति में शिक्षक-शिक्षिकाओं ने श्रद्धा अर्पित की। गीत, आवृत्ति और चर्चा के माध्यम से इस दिन को मनाया गया।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की बधाई दी है उन्होंने ट्वीट कर कहा-‘उन सभी शहीदों को मेरा सलाम, जिन्होंने मातृभाषा के लिए बहादुरी से लड़ाई की। आज भारत में भाषाओं की अधिकता का जश्न मनाने की जरूरत है। ट्वीट में ममता ने आगे कहा-‘हम सभी भाषाओं से प्यार करते हैं। हम अपनी मातृभाषा से प्यार करते हैं। भाषा हमारा प्यार और सबको साथ लेकर चलने की उम्मीद है।’
आपको बता दें कि देश-दुनिया में आज अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है। भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता को बढ़ाने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए हर साल 21 फरवरी को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस दुनिया भर के लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी भाषाओं के संरक्षण और बचाव को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक पहल का हिस्सा है।
सबसे पहले बांग्लादेश से आया विचार
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का विचार सबसे पहले बांग्लादेश से आया था। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के आम सम्मेलन ने 2000 में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। हर साल इस विशेष दिन को मनाने के लिए यूनेस्को द्वारा एक अनूठी थीम चुनी जाती है।
बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग है थीम
2022 का विषय है, ‘बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, चुनौतियां और अवसर’। यह बहुभाषी शिक्षा को आगे बढ़ाने और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और सीखने के विकास को मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी की संभावित भूमिका पर केंद्रित है। इस दिन को चिन्हित करने के लिए,संस्कृति मंत्रालय भौतिक और वर्चुअल रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) और यूनेस्को नई दिल्ली क्लस्टर कार्यालय के सहयोग से दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
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