मालदा। कहते हैं जल है तो कल है लेकिन स्कूलों में ‘कल’ पर संकट छाया हुआ है। अभी तो सिर्फ गर्मी की शुरुआत हुई है, मगर अभी से ही स्कूलों में पानी की उचित व्यवस्था नहीं होने से कल के ‘भविष्य’ यानी बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ‘सब पढ़ें-सब बढ़ें’ और स्कूल चलें हम जैसे नारों से बच्चों को विद्यालय आने के लिए प्रेरित करती है लेकिन स्कूलों के हालात ऐसे हैं कि गर्मी में यहां पीने का पानी मिलना भी मुश्किल रहता है। हालात ये हैं कि पानी के लिए स्कूलों के बच्चों को परिश्रम करना पड़ रहा है।
मालदा शहर के सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय हो गई है। गर्मी में पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण जिले के सरकारी स्कूल के बच्चों को पीने के पानी का संकट झेलना पड़ रहा है। हालत कितने दयनीय है ,इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महिला रसोईया मध्याह्न भोजन के लिए बाहर से बाल्टी में पानी भरकर लाती हैं। वही छात्र पाइप के जरिए पानी इकट्ठा करते हैं। कई छात्र कक्षाओं को छोड़ कर पानी इकट्ठा करते है। पीने का पानी नहीं होने से छात्र घर से बोतल में पानी लेकर आते हैं। ऐसी ही तस्वीर मालदा के माधवनगर बादलमोनी हाई स्कूल में में देखने को मिल रही है।
विद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय से स्कूल का शुद्ध पेयजल भंडार बेकार हो गया है। परन्तु स्कूल प्रशासन ने जलाशय की मरम्मत के लिए कोई पहल नहीं की है। चूँकि कोरोना के बाद सभी विद्यालय खुल चुके है ,ऐसे मना पढ़ाई के लिए बच्चों को स्कूल भेजना सामान्य हो गया है। परन्तु पेयजल नहीं होने से छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। मगर सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर विद्यार्थियों को इस समस्या से कब तक दो चार होना पड़ेगा।
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