पटना। बॉलीवुड की चर्चित फिल्म शोले का एक डायलॉग है ‘होली कब है?। फिलहाल, यह डायलॉग आजकल हर कोई बोलता दिख जा रहा है। ज्यादातर लोगों को कंफ्यूजन है कि आखिर होली का पर्व कब मनाया जाएगा? इस बार होलिका दहन को लेकर हिंदू पंचांगों में भी मतभेद है। लेकिन, इन तमाम शंकाओं को दूर करते हुए भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि होली 8 मार्च को ही मनेगी। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 7 मार्च को है और इस दिन होलिका दहन होगा।
7 मार्च को होलिका दहन धर्म संगत
आचार्य राकेश झा बताते हैं कि इस साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 7 मार्च को है, उसी दिन होलिका दहन होगा। शाम 5.48 से 7.24 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इसी दिन पूर्णिमा का स्नान-दान, कुलदेवता का पूजन और सिंदूर अर्पण भी होगा। 8 मार्च को होली मनाई जाएगी. कहते हैं कि 7 मार्च की सूर्योदयकालीन पूर्णिमा के दिन सायंकाल प्रतिपदा में होलिका दहन करना चाहिए। ऐसा भविष्य पुराण में वर्णित है। भविष्य पुराण में कहा गया है कि पूर्णिमा के पूर्वार्ध तक संवत्सर जीवित रहता है और उत्तरार्द्ध में उसकी मृत्यु हो जाती है. अर्थात संवत्सर का दहन या होलिका दहन पूर्णिमा की उत्तरार्द्ध बेला में करना चाहिए। ज्योतिर्वेद विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. राजनाथ झा के अनुसार प्रदोष काल की पूर्णिमा तिथि 7 मार्च को रहने से उसी दिन होलिका दहन करना धर्म संगत है।
होलिका दहन को लेकर पंचांगों में मतभेद
होलिका दहन को लेकर इस बार पंचांगों में मतभेद है. बनारसी पंचांग के अनुसार 6 मार्च को भद्रा पुच्छ होने से मध्य रात के बाद 12.23 बजे से दिन के 1.35 बजे के बीच होलिका दहन का मुहूर्त बन रहा है। जबकि, मिथिला पंचांग के अनुसार भद्रा मुक्त काल प्रदोष काल में शाम 5.48 बजे से 7.24 बजे के बीच होलिका दहन करना शुभ रहेगा। फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा दो दिन होने के कारण ऐसी स्थिति बनी है।
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