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ख़त्म होते जा रहे हैं रिश्ते, मारती जा रही है इंसानियत, पत्नी ने बीमार पति को छोड़ा, बेटे ने भी किया किनारा

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सिलीगुड़ी। रिश्ते जीवन का आधार होते हैं। पारिवारिक दृष्टिकोण से आंका जाए अथवा सामाजिक संरचना के लिहाज से आकलन किया जाए, मानवीय जीवन में रिश्तों का सदैव विशेष महत्व रहा है। लेकिन वर्तमान युग में स्वार्थ लोगों पर हावी होता जा रहा है, जिसके कारण रिश्तों के मायने भी ख़त्म होते जा रहे है। सिर्फ रिश्तों की डोर ही कमजोर नहीं हो रही है, बल्कि लोगों में इंसानियत भी मरती जा रही है।
सिलीगुड़ी शहर भी एक ऐसी अमानवीय घटना का का गवाह बना है। कैंसर से जूझ रहे 68 वर्षीय स्वप्र्नेश भौमिक को घऱ पर अकेला छोड़कर मां-बेटे चले गये है। दोनों ने उनकी जिम्मेदारी लेने से साफ इंकार कर दिया है।
यह घटना सिलीगुड़ी के 23 नंबर वार्ड की है। जानकारी मिली है कि भारतीय डाक विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी स्वप्नेश भौमिक कैंसर से पीड़ित व लाचार जीवन जी रहा है। कुछ साल पहले अचानक उन्हें कैंसर से पीड़ित होने का पता चला। स्वप्नेश भौमिक की पत्नी चित्रा भौमिक और बेटे शौकत भौमिक ने लाइलाज कैंसर का पता चलने के बाद अचानक उन्हें छोड़ दिया। बेबस स्वप्नेश भौमिक के भाई ने वार्ड पार्षद को इसकी सूचना दी। पार्षद वहां पहूंचकर पीड़ित के बेटे को बुलाया तो उसने पिता की जिम्मेदारी लेने से साफ इंकार कर दिया व कहा कि पिता अपने पेंशन के रुपये से जो चाहे कर लें।
सबसे आश्चर्य की बात है कि स्वप्नेश भौमिक की पत्नी भी उनका साथ नहीं दे रही है। एक पत्नी को अर्धांगनी या जीवन साथ कहा जाता है, क्योंकि वह हर सुख दुःख में साथ देती है, लेकिन स्वप्नेश भौमिक का जो मामला सामने आया है, उससे साफ है कि समाज में रिश्तों की डोर काफी कमजोर होती जा रही है।


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