नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय अवैध ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म OctaFX की जांच कर रहा है। यह ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म भारत से हजारों करोड़ रुपये टैक्स हेवन में भेजकर मनी लॉन्ड्रिंग कर रहा था। ईडी की जांच में पता चला है कि ये प्लेटफॉर्म अपराध से मिली रकम को क्रिप्टोकरेंसी में बदलते हैं। फिर वे अंतरराष्ट्रीय पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के धोखाधड़ी में भारतीयों को 2024 में 22,800 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
प्रवर्तन निदेशालय ने चौंकाने वाली जानकारी देते हुए बताया कि OctaFX ने केवल नौ महीनों में भारत से 800 करोड़ रुपये की कथित अपराध आय अर्जित की है। OctaFX कंपनी के बारे में जानकारी करने पर पता चला कि इसके प्रमोटर रूस में हैं। इसका तकनीकी सपोर्ट जॉर्जिया से चलता है। भारत में इसका ऑपरेशंस दुबई से संभाला जाता है। जबकि इसके सर्वर बार्सिलोना में हैं और यह कंपनी साइप्रस में रजिस्टर्ड है। यह फॉरेक्स, कमोडिटीज और क्रिप्टोकरेंसी में डील करता है।
मुंबई ईडी की टीम कर रही जांच
प्रवर्तन निदेशालय की मुंबई जोनल यूनिट इसकी जांच कर रही है। जांच में सामने आया है कि कुछ लेनदेन को सिंगापुर से सेवाओं के नकली आयात के जरिए किया गया। इससे भारत में कमाए गए धोखाधड़ी के पैसे को लॉन्डर किया गया। एक मामले में, ईडी ने भारत और विदेश में 172 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। इसमें एक यॉट, स्पेन में एक विला, बैंकों में 36 करोड़ रुपये, 39,000 USDT क्रिप्टोकरेंसी, जमीन और 80 करोड़ रुपये की डिमैट होल्डिंग्स शामिल हैं।
निवेश धोखाधड़ी में शामिल हैं कई कंपनियां
OctaFX अकेला अवैध ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नहीं है जो निवेश धोखाधड़ी में शामिल है। बेंगलुरु जोनल यूनिट पॉवर बैंक की जांच कर रही है। कोलकाता जोनल यूनिट एंजल वन, टीएम ट्रेडर्स और विवान एलआई की जांच कर रही है। कोच्चि यूनिट Zara FX की जांच कर रही है। ईडी के यह सभी के मामले अलग-अलद शहरों में पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर पर आधारित हैं।
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया है कि क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर साइबर धोखाधड़ी में Birfa IT और संबंधित फर्म ब्रोकर के रूप में काम करती थीं। वे ग्राहकों को चीन में कम-इनवॉइस वाले आयात के लिए पैसे भेजने में मदद करने के लिए बड़ी रकम को क्रिप्टो में बदलती थीं और PoC को क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से लॉन्डर करती थीं।”
Birfa मामले की जांच में पाया गया कि “4,818 करोड़ रुपये की रकम हांगकांग और कनाडाई संस्थाओं को भेजी गई थी, जिन पर घेखेबाजों का नियंत्रण था। यह सर्वर लीजिंग, एस्क्रो सेवाओं आदि के भुगतान के बहाने नकली इनवॉइस पर किया गया था।”
22,800 करोड़ की वित्तीय घोखाधड़ी
प्रवर्तन निदेशालय के दस्तावेज के अनुसार, भारतीयों को 2024 में लगभग 36.4 लाख वित्तीय धोखाधड़ी में 22,800 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। यह 2023 में 7,465 करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान से 206 प्रतिशत अधिक है। मामलों की संख्या में भी 24.4 लाख से 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
इसी तरह की एक साइबर निवेश धोखाधड़ी की जांच में पता चला कि इसके मास्टरमाइंड लाओस, हांगकांग और थाईलैंड से काम कर रहे थे। उन्होंने भारत में एजेंटों को काम पर रखा। ये एजेंट जाली दस्तावेजों का उपयोग करके शेल संस्थाएं बनाते थे। वे नकली IPO आवंटन, शेयर बाजार निवेश और नकली डिजिटल गिरफ्तारी में शामिल थे। PoC को शेल कंपनियों में इकट्ठा किया जाता था। फिर इसे क्रिप्टोकरेंसी में बदला जाता था। इसके बाद इसे “सेवाओं के नकली आयात” के भुगतान के रूप में विदेशों में भेजा जाता था।
अंतरराष्ट्रीय पेमेंट गेटवे इनमें से कई अवैध लेनदेन के लिए बिचौलिए का काम करते हैं। धोखाधड़ी से मिली रकम का एक हिस्सा हवाला चैनलों का उपयोग करके लॉन्डर किया जाता है। कुछ मामलों में, प्रवर्तन निदेशालय ने पाया है कि PoC को भारत में वैध निवेश के रूप में छिपाकर शेयर बाजारों में वापस लाया जाता है।