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MS Dhoni Surgery: कैसे हुई एमएस धोनी की सर्जरी की मिनट-टू-मिनट प्लानिंग, ट्रॉफी जीतने के बाद 60 घंटे का पूरा ब्यौरा

नई दिल्ली। 29 तारीख की देर रात करीब दो बजे आईपीएल का फाइनल खत्म हुआ। चेन्नई ने गुजरात को हराकर खिताब जीता। ये चेन्नई का पांचवां खिताब था।जीत के बाद प्रेजेन्टेशन सेरेमनी और फिर ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों की मौज. . .

नई दिल्ली।  29 तारीख की देर रात करीब दो बजे आईपीएल का फाइनल खत्म हुआ। चेन्नई ने गुजरात को हराकर खिताब जीता। ये चेन्नई का पांचवां खिताब था।जीत के बाद प्रेजेन्टेशन सेरेमनी और फिर ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों की मौज मस्ती। तीन बजे के करीब धोनी फिर मैदान में आए। उन्होंने उन फैंस का अभिवादन स्वीकार किया जो तब तक स्डेटियम में बने हुए थे। अभी ट्रॉफी के साथ तस्वीरें क्लिक होने का काम बाकि था। वो भी हुआ, यानी समय चक्र के हिसाब से समझें तो 30 तारीख की शुरूआत हो चुकी थी। इसके बाद होटल वापसी, जरूरी पैकिंग और थोड़ा आराम।
इस पूरे घटनाक्रम पर हमने इसलिए विस्तार से बात की क्योंकि अगले दिन यानी 31 तारीख को धोनी मुंबई पहुंच चुके थे। अहमदाबाद से मुंबई की दूरी बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन करीब सवा घंटे की फ्लाइट, एयरपोर्ट तक पहुंचने और वहां लगने वाले जरूरी समय को जोड़ लीजिए तो करीब 4-5 घंटे का वक्त तय है। ये सब करने के बाद 31 की शाम को धोनी मुंबई के अस्पताल पहुंच चुके थे।ये पूरा घटनाक्रम इतना सामान्य नहीं है. इसके पीछे की प्लानिंग किसी बड़े इवेंट में मिनट-टू-मिनट की जाने वाली प्लानिंग जैसी ।
यहां भी धोनी की ‘टाइमिंग’ का कमाल है
विकेट के पीछे धोनी की ‘टाइमिंग’ की अक्सर तारीफ होती है। फाइनल में उन्होंने शुभमन गिल को स्टंप किया था, जिसकी जमकर तारीफ हुई थी। एक सेकेंड के बारहवें हिस्से में उन्होंने गिल की गिल्लियां बिखेर दी थीं। अपनी सर्जरी को लेकर भी धोनी की ‘टाइमिंग’ कमाल की थी। उन्होंने एक भी मिनट का समय खराब नहीं जाने दिया। इस बात को भी समझना होगा कि भले ही धोनी को एयरपोर्ट पर या अस्पताल में लाइन में लगने की जरूरत नहीं है लेकिन कुछ औपचारिकताएं ऐसी होती हैं जिन्हें हर हाल में करना ही पड़ता है भले ही कोई कितना भी प्रमुख व्यक्ति ना हो। मसलन- सर्जरी से पहले किए जाने वाले जरूरी टेस्ट। 31 को एडमिट होने के बाद 1 जून को धोनी को सर्जरी हो भी गई. डॉ. दिनशॉ पारदीवाला एक बेहद हाई प्रोफाइल डॉक्टर हैं। बेहद व्यस्त रहते हैं,लेकिन धोनी के लिए उनके साथ सबकुछ पहले से तय किया गया था। कब किस वक्त क्या होना है ये पूरा ब्लूप्रिंट तैयार था।
क्यों सब कुछ इतना जल्दी किया गया
अब जरा सोचिए धोनी को तुरंत कोई टूर्नामेंट नहीं खेलना है। हम जानते हैं कि वो इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं। वो चाहते तो ट्रॉफी जीतने के बाद कुछ दिन आराम कर सकते थे, क्योंकि पूरे सीजन वो लगातार मैदान में थे। चोट के बाद भी उन्होंने एक भी मैच नहीं मिस किया था। सारे 16 मैच धोनी ने खेले, इसमें भी एक बात गौर करने वाली है, जिन 16 मैच में धोनी विकेटकीपिंग कर रहे थे उसमे से 3 मैच ही ऐसे थे जब विरोधी टीम 20 ओवर तक बल्लेबाजी नहीं कर पाई। यानी धोनी को थोड़ी राहत मिली. 31 मार्च को पहले मैच में गुजरात टाइटंस ने 19.2 ओवर बल्लेबाजी की थी। 3 मई को लखनऊ सुपरजाएंटस ने 19.2 ओवर बल्लेबाजी की और 14 मई को कोलकाता नाइट राइडर्स ने 18.3 ओवर बल्लेबाजी की थी। बाकि लगभग सभी मैच में धोनी लगातार विकेट के पीछे रहे। ये भी समझिए कि ये सीजन लगभग 60 दिन चला। धोनी ने मैदान में पसीना बहाने के साथ साथ ‘ट्रैवल’ भी अच्छा खासा किया।लेकिन बावजूद इसके उन्होंने एक दिन भी आराम करने का फैसला नहीं किया।
ये पूरा घटनाक्रम क्या साबित करता है?
अब वापस लौटिए फाइनल मुकाबले पर. चैंपियन बनने के बाद धोनी ने कहा था- रिटायरमेंट के लिए ये सबसे अच्छा वक्त है, लेकिन जो प्यार और सम्मान उन्हें क्रिकेट फैंस ने दिया है अब वो उसके बदले में उन्हें कुछ देना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि एक और सीजन मैदान में उतरें।बशर्ते उनका शरीर साथ दे। धोनी की घुटने की तकलीफ कोई नई नहीं है। लेकिन उससे उबरे बिना मैदान में वापसी संभव नहीं थी। ऐसा कहा जा रहा था कि धोनी ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ के तौर पर अगले सीजन में खेल सकते हैं। लेकिन इसी साल से शुरू हुआ ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ का ये नियम धोनी पर व्यवहारिक तौर पर लागू नहीं हो सकता था।
ऐसा इसलिए क्योंकि धोनी को कीपिंग तो करनी ही पड़ती, कोई और विकेटकीपर रखकर स्पेशलिस्ट बल्लेबाज के तौर पर धोनी नहीं खेलते।लिहाजा आप आंख मूंदकर कह सकते हैं कि धोनी ने ट्रॉफी जीतने के बाद जो बात कही थी उस पर उन्होंने अगले ही मिनट से अमल करना शुरू कर दिया। अब डॉक्टरों के मुताबिक सर्जरी को ‘हील’ होने में करीब दो महीने लगेंगे और उसके बाद धोनी रनिंग शुरू कर देंगे। इसका सीधा मतलब है कि अगस्त के महीने में आप धोनी को दौड़ते हुए देख सकते हैं. उसके बाद मैच फिटनेस की कवायद शुरू होगी।
चेन्नई को मंझधार में नहीं छोड़ेगे धोनी
ये भी एक अहम पहलू है. चेन्नई की टीम ने चैंपियन का खिताब जरूर जीत लिया। लेकिन धोनी की पैनी निगाहें टीम की कमियों को देख रही हैं। उन्हें पता है कि अब भी टीम के पास कोई अनुभवी कप्तान नहीं है, टीम की गेंदबाजी कमजोर है। मिडिल ऑर्डर में अंबाती रायडू का विकल्प खोजना है। बेन स्टोक्स को लेकर चेन्नई ने जो दांव खेला था वो बुरी तरह फ्लॉप रहा। साढ़े सोलह करोड़ वाले बेन स्टोक्स ने पूरे सीजन में सिर्फ 2 मैच खेले. धोनी अगर एक और सीजन मैदान में उतरते हैं तो निश्चित तौर पर सबसे पहले अपने बाद टीम की कमान संभालने वाले एक अदद कप्तान को तैयार करेंगे। तेज गेंदबाजी यूनिट पर थोड़ा और मेहनत करेंगे। चेन्नई के लिए धोनी का अभी बहुत काम बाकि है. इसीलिए धोनी लौटेंगे… हर हाल में लौटेंगे।

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