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आतंक के खिलाफ पाकिस्तान की मंद चाल, 2020 के मुकाबले 2021 में बढ़े धमाके और सामूहिक हत्या के मामले

इस्लामाबाद। पाकिस्तान पर हमेशा से आतंक के वित्तपोषण और आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगता रहा है। इसको लेकर उसे कई तरह के प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ा है, जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अभियान. . .

इस्लामाबाद। पाकिस्तान पर हमेशा से आतंक के वित्तपोषण और आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगता रहा है। इसको लेकर उसे कई तरह के प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ा है, जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अभियान छेड़ने का दुनिया को आश्वासन दिया। हालांकि, यहां पर भी इस मुल्क ने दुनिया की आंखों में धूल झोंकने का काम किया।
यूएस ब्यूरो ऑफ काउंटरटेरिज्म की रिपोर्ट कहती है कि आतंकवादियों के खात्मे को लेकर पाकिस्तान में चलाए जा रहे अभियान की चाल बहुत सुस्त है। यहां तक कि 2020 के मुकाबले पाकिस्तान में 2021 में आतंकी घटनाओं में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में आतंकी हमलों और हताहतों की संख्या काफी अधिक थी।
रिपोर्ट में हुआ आतंकी संगठनों का खुलासा
अमेरिकी रिपोर्ट में पाकिस्तान की जमीन पर पनप रहे आतंकी संगठनों का सीधे तौर पर नाम लिखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में हमले करने वाले प्रमुख आतंकवादी संगठनों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और आईएसआईएस-के शामिल हैं। पाकिस्तान ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपनी 2015 की राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) की समीक्षा की और संशोधित किया, एनएपी को 20-बिंदु योजना से 14 प्रमुख बिंदुओं तक कम कर दिया, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ सबसे कठिन पहलुओं पर अल्प प्रगति की।
पाकिस्तान में बढ़े इस तरह के हमले
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में अलगाववादी आतंकवादी संगठनों ने ज्यादातर बलूचिस्तान और सिंध प्रांत को निशाना बनाया। यहां आतंकवादियों ने आईईडी, वीबीआईईडी, आत्मघाती बम विस्फोट और लक्षित हत्याओं जैसे हथकंडे अपनाए। बता दें, पाकिस्तान को 2018 में, 1998 के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत विशेष चिंता का देश (CPC) नामित किया गया था। इसे 2019, 2020 और 2021 में CPC के रूप में नया स्वरूप दिया गया था। इसके अलावा FATF ने पाकिस्तान को 2018 में ग्रे सूची में डाला था। चार साल पाकिस्तान इस सूची में बना रहा।

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