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दिल्ली ब्लास्ट केस में बड़ा खुलासा : आतंकी डॉ. मुजम्मिल शकील ने आटा चक्की को बना दिया था ‘बम’ बनाने की मशीन, कैब ड्राइवर के घर से मिली

फरीदाबाद। दिल्ली में लाल किले के नजदीक कार में बम ब्लास्ट की आतंकी घटना से पहले जम्मू कश्मीर पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले डॉ. मुज्जमिल शकील को अरेस्ट किया था। इसके बाद दिल्ली में आतंकी घटना को अंजाम. . .

फरीदाबाद। दिल्ली में लाल किले के नजदीक कार में बम ब्लास्ट की आतंकी घटना से पहले जम्मू कश्मीर पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले डॉ. मुज्जमिल शकील को अरेस्ट किया था। इसके बाद दिल्ली में आतंकी घटना को अंजाम देते हुए डॉ. उमर उन बनी ने सुसाइड बॉम्बर के तौर कार में विस्फोट किया था। इसमें 13 लोग मारे गए थे। जांच एजेंसियों को डॉ. मुजम्मिल शकील के यहां से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद होने के बाद अब बम बनाने की मशीन होने का खुलासा हुआ है। तस्वीरों से पता चला है कि मुज्जमिल शकील ने अपना विस्फोटक सेटअप बना रखा था। उसने फरीदाबाद में एक आटा चक्की को एक केमिकल वर्कशॉप में बदल दिया।

दो साल की प्लानिंग के मिले सबूत

जांचकर्ताओं को दो साल से ज़्यादा समय से की गई सावधानी से प्लानिंग के सबूत मिले हैं। गौरतलब हो कि पहले छापेमारी में 3,000 किलो विस्फोटक और हथियार मिले थे। फरीदाबाद के धौज गांव के एक शांत घर में दिल्ली कार ब्लास्ट में सह-आरोपी डॉ. मुज़म्मिल ने आटा चक्की को केमिकल वर्कशॉप में बदल दिया था। हरियाणा के फरीदाबाद में एक टैक्सी ड्राइवर के घर से मिली चक्की और बिजली की मशीनरी की तस्वीरों से उसकी तैयारी का डरावना पैमाना पता चलता है। कैसे रोजाना इस्तेमाल होने वाला अनाज पीसने वाली मशीन को केमिकल को पाउडर बनाने का टूल बन दिया था। आटा चक्की असल में एक ग्राइंडर होती है। इसमें ठोस चीजों को बारीक पाउडर में बदलने के लिए भारी रोलर या ब्लेड होते हैं।

मौलवी के घर से मिला था विस्फोटक

10 नवंबर को दिल्ली ब्लास्ट में 13 लोग मारे गए थे। जम्मू कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद से 2900 किलोग्राम विस्फोटक की बरामदगी की थी। जहां से यह विस्फोटक मिला था। उसे एक कमरे में रखा गया था। जांच में सामने आया था कि इस कमरे को मुजम्मिल ने सिर्फ 1,500 रुपये महीने के किराए पर लिया था। जांचकर्ताओं का कहना है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी में मुजम्मिल के रहने की जगह से मिले सबूत, साथ ही ब्लास्ट में इस्तेमाल i20 के ड्राइवर, सह-आरोपी उमर उन नबी के घरों से मिले सबूत बताते हैं कि टेरर प्लॉट की प्लानिंग दो साल से ज्यादा समय से बहुत ध्यान से की गई थी। अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कमरा नंबर 13 (जहां मुजम्मिल गनाई रहता था) और कमरा नंबर 4 (उमर उन नबी) की जांच में मिले सबूत एक बड़े आतंकी प्लान की ओर इशारा करते हैं।

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